PAN और PRAN नंबर में अंतर जानते हैं आप, दोनों कितना अलग हैं समझ लीजिए

PAN Card and PARN: पैन पर 10 अंकों के यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबर दर्ज होते हैं। पैन नंबर की मदद से इनकम टैक्स विभाग सभी टैक्सपेयर्स के ट्रांजेक्शन से जुड़े डिटेल्स पर नजर रखता है। कोई नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करना चाहता है, तो उसके लिए PRAN नंबर जरूरी होता है।

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PAN और PRAN ये शब्द सुनने और बोलने में लगभग एक जैसे लग सकते हैं। लेकिन हैं ये बिल्कुल एक दूसरे से अलग हैं और इनका काम भी जुदा है। हालांकि, दोनों का इस्तेमाल वित्तीय कामों के लिए ही होता है। PAN यानी परमानेंट अकाउंट नंबर। ये 10 अंकों का होता है। वहीं, PARN यानी परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर 12 अंकों का होता है। देश के सभी टैक्सपेयर्स के पास PAN कार्ड अनिवार्य है। इसके बिना टैक्स फाइलिंग जैसे जरूरी काम नहीं कर पाएंगे। वहीं, अगर कोई नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करना चाहता है, तो उसके लिए PRAN नंबर जरूरी होता है।

पैन कार्ड का इस्तेमाल

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पैन कार्ड जारी करता है। पैन पर 10 अंकों के यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबर दर्ज होते हैं। पैन नंबर की मदद से इनकम टैक्स विभाग सभी टैक्सपेयर्स के ट्रांजेक्शन से जुड़े डिटेल्स पर नजर रखता है। ITR दाखिल करने से लेकर रिफंड क्लेम और रिवाइज रिटर्न फाइल करने के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है।
आज के समय में आधार और पैन का एक दूसरे के साथ लिंक होना जरूरी है।लपैन कार्ड का इस्तेमाल सभी इनकम टैक्स, निवेश, सेविंग, बैंक अकाउंट खुलवाने, शेयर मार्केट में निवेश आदि से संबंधित जगहों पर किया जाता है। KYC के लिए भी इसका इस्तेमाल एक डॉक्यूमेंट के रूप किया जाता है।
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