Gold-ETF: पहली बार 68,000 रुपये के पार पहुंचा सोना, इन्वेस्ट कर उठाएं फायदा
पुराने समय से ही गोल्ड को इन्वेस्टमेंट का काफी स्थायी और अच्छा ऑप्शन माना जाता है। 1 अप्रैल 2024 को गोल्ड 68,964 रुपये के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। अब, जब दुनिया डिजिटल हो रही है तो गोल्ड में इन्वेस्ट करने का एक नया तरीका भी सामने आ चुका है। इसे गोल्ड-ETF कहा जाता है। आइये जानते हैं आप इसमें इन्वेस्ट कर किस तरह फायदा उठा सकते हैं?



गोल्ड-ETF में इन्वेस्ट कर सोने के बढ़ते दामों से कमाएं प्रॉफिट
Gold ETF: पुराने समय से ही गोल्ड को इन्वेस्टमेंट के काफी सुरक्षित और अच्छे ऑप्शन के तौर पर देखा जाता है। लोग अक्सर गोल्ड की ज्वेलरी या फिर फिजिकल रूप में ही इसमें इन्वेस्ट करते आये हैं। लेकिन अब दुनिया काफी तेजी से डिजिटल हो रही है और साथ ही गोल्ड में इन्वेस्ट करने का तरीका भी काफी डिजिटल हो गया है। 1 अप्रैल को गोल्ड 68,964 रुपये के अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। इसके बाद से ही गोल्ड में इन्वेस्टर्स की रुचि भी काफी बढ़ गई है। क्या आप भी गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं? आइये आपको गोल्ड में इन्वेस्ट करने के डिजिटल तरीके के बारे में बताते हैं, जिसे गोल्ड-ETF कहा जाता है।
क्या है गोल्ड-ETF?गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स को ही गोल्ड-ETF कहा जाता है। गोल्ड-ETF में आप घरेलु मार्केट के रेट के हिसाब से गोल्ड खरीदते हैं। मार्केट में जब गोल्ड का रेट बढ़ता है तो आप गोल्ड-ETF को बेच सकते हैं और कमाई कर सकते हैं। गोल्ड ETF बहुत हद तक शेयर मार्केट की तरह ही होते हैं और घरेलु मार्केट में सोने की कीमत बढ़ने पर इन्वेस्टर्स को मुनाफा प्रदान करते हैं। गोल्ड-ETF में इन्वेस्ट करने के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट ही चाहिए होता है। इसके बाद आप गोल्ड-ETF चुनकर उसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं।
गोल्ड-ETF में इन्वेस्ट करने के फायदेफिजिकल फॉर्म के मुकाबले अगर आप गोल्ड-ETF में इन्वेस्ट करते हैं तो आपको ये फायदे मिलते हैं:
लिक्विडिटी: फिजिकल सोने को बेचने के लिए आपको ज्वेलर की दुकान पर जाना पड़ता है। जबकि गोल्ड-ETF का लेन-देन पूरी तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर होता है और इस वजह से इसे कभी भी बेचा जा सकता है।
ट्रांसपेरेंसी: फिजिकल सोने को बेचते हुए आपको ज्वेलर के साथ मार्केट रेट और अन्य फैक्टर्स के आधार पर मोल-भाव करना होता है। जबकि गोल्ड-ETF के साथ ऐसा नहीं होता और आप गोल्ड की कीमत के साथ-साथ गोल्ड होल्डिंग्स की परफॉरमेंस भी देख सकते हैं।
कम लागत: जब आप गोल्ड ज्वेलरी लेते हैं तो आपको मेकिंग चार्ज, स्टोरेज चार्ज का भुगतान करना पड़ता है जबकि गोल्ड-ETF में ऐसा नहीं होता है।
ज्यादा आसान: गोल्ड ETF में आप प्रतिग्राम सोने के हिसाब से इन्वेस्ट करते हैं, जबकि फिजिकल गोल्ड आपको 10 ग्राम के हिसाब से सोना खरीदना पड़ता है। इसीलिए गोल्ड-ETF खरीदना और स्टोर करना आसान होता है।
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पवन कुमार मिश्रा Timesnowhindi.com के साथ फरवरी 2024 से बतौर सीनियर कॉपी एडिटर के रूप में जुड़े हैं। ...और देखें
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