Bank Cheque Bounce: किस वजह से चेक हो जाता है बाउंस, फिर कितना देना पड़ता है जुर्माना
Bank Cheque Bounce: लोग आज के समय में भी चेक का इस्तेमाल करते हैं। कई बार अलग-अलग वजहों से चेक बाउंस हो जाता है। अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है, तो बैंक उससे पेनाल्टी वसूलता है। अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंस पर लगने वाली पेनाल्टी अलग-अलग होती है।
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Bank Cheque Bounce: एक समय में भुगतान के लिए बैंक चेक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता था। लेकिन अब के डिजिटल के दौर में चेक से भुगतान कम हो गया है। हालांकि, इसके बावजूद इसकी अहमियत बरकरार है। लोग आज के समय में भी चेक का इस्तेमाल करते हैं। कई बार अलग-अलग वजहों से चेक बाउंस हो जाता है। इसका मतलब यह होता है कि अगर किसी ने चेक जारी किया और उससे पेमेंट नहीं हो सका। इसे चेक बाउंस कहा जाता है।
बैंक वसूलता है जुर्माना
अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है, तो बैंक उससे पेनाल्टी वसूलता है। अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंस पर लगने वाली पेनाल्टी अलग-अलग होती है। इसके अलावा कुछ विशेष परिस्थितियों में चेक जारी करने वाले पर मुकदमा भी हो सकता है। चेक बाउंस होने पर जुर्माना आमतौर पर 150 रुपये से लेकर 750 या 800 रुपये तक वसूला जाता है।
भारत में चेक बाउंस होना अपराध की कैटेगरी में आता है। चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के अनुसार, चेक बाउंस होने की स्थिति में इसे जारी करने वाले के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।
इन वजहों से बाउंस हो सकता है चेक
- अकाउंट में बैलेंस नहीं होना या कम होना
- सिग्नेचर मैच नहीं होना
- जाली चेक का संदेह
- चेक की समय सीमा समाप्त होना
- शब्द लिखने में गलती
- अकाउंट नंबर में गलती
- ओवर राइटिंग
ऐसे दर्ज करानी होती है शिकायत
चेक बाउंस होने के बाद बैंक लेनदार को एक रसीद देते हैं। इसमें चेक बाउंस क्यों हुआ, इस बारे में जानकारी दी जाती है। फिर लेनदार को चेक जारी करने वाले के पास 30 दिन के भीतर नोटिस भेजना होता है। अगर नोटिस का जवाब 15 दिनों के भीतर नहीं आते हैं, तो लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 दिन गुजरने के बाद 30 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करा सकता है।
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