PSU Banks Loan Rates: आखिर सरकारी बैंकों ने क्यों महंगा कर दिया लोन, किस बात की है टेंशन
PSU Banks Loan Rates: इन बैंकों ने अपने बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड-बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में इजाफे का ऐलान कर दिया। MCLR वह न्यूनतम दर है जिस पर बैंक ग्राहकों को लोन देता है। बैंकों के लिए MCLR निर्धारित करने में फंड या जमा की लागत एक प्रमुख भूमिका निभाती है।
सरकारी बैंकों ने क्यों बढ़ाई लोन की ब्याज दरें।
PSU Banks Loan Rates: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनिटरी पॉलिसी समिति की बैठक के बादम पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), केनरा बैंक और यूको बैंक ने अपने लोन महंगे कर दिए। इन बैंकों ने अपने बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड-बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में इजाफे का ऐलान कर दिया। बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक ने 12 अगस्त से छह महीने और एक साल की अवधि की आधार की दर में 5 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। यूको बैंक ने भी 10 अगस्त से अपनी उधार दरों में 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है।
क्या है MCLR
MCLR वह न्यूनतम दर है जिस पर बैंक ग्राहकों को लोन देता है। बैंकों के लिए MCLR निर्धारित करने में फंड या जमा की लागत एक प्रमुख भूमिका निभाती है। पिछले महीने बैंक ऑफ इंडिया ने एक अगस्त से एक साल की अवधि के लिए अपने MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी, जबकि भारतीय स्टेट बैंक ने सभी अवधि के लिए अपने MCLR में 5 से 10 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था।
रिटर्न देने से बढ़ी लागत
कई पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने डिपॉजिट पर चुकाई जाने वाली उच्च लागत को दिखाते हुए MCLR में वृद्धि की है। एचडीएफसी बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने जनवरी में MCLR में औसतन 5 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था।
मुनाफे को चुनौती
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार, मई 2022 में ब्याज दरों में सख्ती के सायकिल की शुरुआत के बाद से लगभग 140 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि के बाद वित्त वर्ष 25 में बैंकों के लिए फंड की लागत में 25-30 BPS की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। फर्म ने पिछले महीने कहा था कि उच्च जमा दरें वित्त वर्ष 25 में बैंक की मुनाफे को चुनौती देंगी।
वित्त वर्ष 2025 की जून तिमाही में ज्यादातर बैंकों ने औसतन 1.15 फीसदी की जमा वृद्धि में गिरावट देखी। यस बैंक की जमा राशि 0.75 फीसदी घटकर 2.64 लाख करोड़ रुपये रह गई, जबकि बंधन बैंक की जमा राशि 1.5 फीसदी घटकर 1.33 लाख करोड़ रुपये रह गई।
स्लो डिपॉजिट रेट बनी टेंशन
पिछले एक साल से आरबीआई के लिए जमा की उच्च लागत और लोन के मुकाबले जमा की धीमी वृद्धि दर चिंता का विषय रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के बाद संबोधन में कहा कि यह देखा गया है कि खुदरा ग्राहकों के लिए वैकल्पिक निवेश के रास्ते अधिक आकर्षक होते जा रहे हैं और बैंकों को वित्तपोषण के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बैंक जमा लोन वृद्धि से पीछे हैं। इस वजह से बैंक शॉर्ट टर्म, नॉन-रिटेल डिपॉजिट और अन्य साधनों का अधिक सहारा ले रहे हैं।
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