Fastag में जमा पैसों पर ब्याज देगा बैंक? जानें क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने क्या कहा?
Interest on Fastag Balance: दिल्ली उच्च न्यायालय ने फास्टैग और कार्ड में जरूरी मिनिमम बैलेंस पर ब्याज के भुगतान की अपील करने वाली याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में फास्टैग में जमा पैसों पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
फास्टैग आने के बाद 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे बैंकिंग सिस्टम में शामिल हो गई है
Interest on Fastag: दिल्ली उच्च न्यायालय ने फास्टैग और कार्ड में जरूरी मिनिमम बैलेंस पर ब्याज के भुगतान की अपील करने वाली याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में फास्टैग में जमा पैसों पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने NHAI और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि फास्टैग जारी करने के साथ हजारों करोड़ रुपये यात्रियों, NHAI या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को बिना फायदा दिए बैंकिंग सिस्टम में शामिल हो गए हैं।
कोर्ट ने सरकार को दिया 4 सप्ताह का समय
अदालत ने इस संबंध में जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तारीख तय की है। आवेदन एक लंबित याचिका में दायर किया गया था, जिसमें बिना फास्टैग वाली गाड़ियों को टोल टैक्स का दोगुना भुगतान करने के लिए मजबूर करने वाले नियम को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि ये नियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और जनहित के खिलाफ है क्योंकि ये NHAI को नकद भुगतान करने पर दोगुनी दर से टोल वसूलने का अधिकार देता है।
फास्टैग के बाद बैंकिंग सिस्टम में आए 30 हजार करोड़ रुपये
याचिकाकर्ता रविंद्र त्यागी की ओर से एडवोकेट प्रवीन अग्रवाल ने आवेदन में कहा कि फास्टैग आने के बाद 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे बैंकिंग सिस्टम में शामिल हो गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर इस आंकड़े पर 8.25 प्रतिशत सालाना की फिक्स्ड डिपॉजिट दर लागू की जाती है, तो NHAI को हर साल 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का फायदा होगा।
फ्री में पैसों का इस्तेमाल कर रहे बैंक और वित्तीय संस्थान
याचिका में कहा गया है, “वर्तमान में इन पैसों का इस्तेमाल बैंकों, वित्तीय संस्थानों द्वारा फ्री में किया जा रहा है। इन पैसों पर ब्याज या तो एनएचएआई का है या यात्रियों का है और इसका इस्तेमाल सड़क, राजमार्ग, यात्रियों की भलाई के लिए होना चाहिए।” याचिका में फास्टैग के ब्याज से मिली राशि के लिए प्रशासन को ‘यात्री कल्याण कोष’ के नाम से एक अलग कोष तैयार करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है।
भाषा इनपुट्स के साथ
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सुनील चौरसिया author
मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स ना...और देखें
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