विपक्षी एकता की खुली पोल, Kejriwal नहीं हुए प्रेस कॉंफ्रेंस में शामिल

2024 के लोकसभा चुनावों की बिसात बिछ गई है। सियासी विरोधियों को एक मंच पर लाने का श्रेय तो प्रधानमंत्री को मिलना ही चाहिए। जिन अरविंद केजरीवाल ने सियासत की शुरुआत ही लालू यादव और शरद पवार की लानत-मलानत करने से की थी वो नेता अब केजरीवाल के लिए स्वीकार्य भी हैं और सम्मानित भी। अब उनके साथ एक मंच पर विपक्षी एकता को मजबूत करते केजरीवाल साहब को कोई दिक्कत नहीं। भारत की सियासत का बड़े से बड़ा जानकार भी यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती एक मंच साझा करेंगे। लेकिन इस बैठक में तो दोनों एक टीम बन चुके हैं।। वजह हैं नरेंद्र मोदी।