महिलाओं के लिए रिफॉर्मर की छवि रखने वाले नीतीश कुमार क्या अपना सबसे बड़ा जनाधार यानी बिहार की आधी आबादी का साथ इन बयानों से गंवा देंगे? इसका जवाब भविष्य की गर्भ में है। लेकिन सियासत के गिने चुने मर्यादित नेताओं में शुमार होने वाले नीतीश कुमार का यह पतन और बिहार का उनसे होता मोहभंग एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। शायद नीतीश कुमार का यह आखिरी विवादित भाषण ना हो। नीतीश ने जो सम्मान कमाया था उसे आखिरी वक्त में गंवाते देखना उन लोगों को भी दुखी कर रहा है जिनका बिहार की सियासत से सीधा संबंध नहीं है। और उन लोगों के लिए भी जिनके लिए उम्मीद का नाम नीतीश कुमार हुआ करते थे।