Mukhtar Ansari का करीबी Sanjeev Jeeva कौन? जिसे सरेआम कोर्ट में मारा गया| CM Yogi

माफियाओं के खौफ़ और खात्मे के किस्से लेकर आपके लिए आ रहा है टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल। माफिया सीरीज के इस एपिसोड में Munish Devgan के साथ देखिए गुर्गों की दुनिया के सबसे खौफनाक चेहरे संजीव जीवा की। मुख्तार का करीबी गुर्गा संजीव जीवा कैसे और क्यों मारा गया। इसकी बात हम विस्तार से करेंगे लेकिन पहले आपको बताते हैं इस पूरे सिलसिले की शुरुआत कैसे हुई। 80 के दशक में उत्तर प्रदेश में माफियाराज का स्टार्टअप शुरू हुआ जिसके पुरोधा हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही दोनों दिवंगत हो चुके हैं। 90 के दशक में यह स्टार्टअप यूनीकॉर्न बन गया। यूनीकॉर्न समझते हैं ना बड़ी इंडस्ट्री और बड़ी-बड़ी कंपनियां। माफियाराज में ये यूनिकॉर्न बने माफियाओं के गैंग। हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही के प्रभाव को कम करने के लिए आया यूपी का डॉन कहा जाने वाला श्रीप्रकाश शुक्ला। लेकिन श्रीप्रकाश की चाल इतनी तेज थी कि उसका अंत भी उसी गति से हुआ। इसके बाद अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के गैंग ने पूर्वांचल को दशकों तक दहलाया। इनके गैंग में शामिल गुर्गे भी गैंगस्टर बनते रहे। लेकिन ये यूपी में माफियाराज के शुरुआत और फलने-फूलने की कहानी थी। माफियाओं के मिटने की कहानी जो लिखी जा रही है उसकी स्क्रिप्ट में कई दिलचस्प मोड़ हैं। उसका एक पैटर्न भी है। जैसे एक पैटर्न था इन गैंगस्टर्स का अपने शिकार को मारने का। यूपी के दो विधायकों कृष्णानंद राय और ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में जिस संजीव जीवा का नाम सामने आया उसे लखनऊ कोर्ट में वकील की ड्रेस पहनकर आए हमलावरों ने गोलियों से भूनकर मार डाला। ठीक वैसे ही जैसे अतीक और उसके खूंखार भाई अशरफ को पत्रकारों की आईडी और माइक लेकर आए हमलावरों ने सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी।

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