Rashtravad: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भारत के विधि आयोग से कहा है कि शरिया (Sharia Law) के मूल प्रारूप में एक मिनट का भी बदलाव स्वीकार्य नहीं होगा, क्योंकि भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में उल्लेखित किया गया है। Muslim Personal Law की रक्षा करने का दावा करने वाली संस्था ने सवाल उठाया कि जब सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासियों और ईसाइयों को इसके आवेदन से बाहर करने के लिए तैयार है तो केवल मुसलमानों को UCC से छूट क्यों नहीं दी गई है ?