Ajab Gajab: बुंदेलखंड की अनोखी परंपरा, बारिश का पता लगाने को अपनाई जाती है ये तरकीब

बुंदेलखंड में एक अनोखे पक्षी के अंडे को देखकर पता लगाया जाता है कि साल में कितनी बारिश होगी। अंडों के बीच फासला देखकर लगाया जाता है पता कि किस महीने कितनी बारिश होगी।

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टिटहरी पक्षी (सांकेतिक फोटो)

Ajab Gajab: भारत में प्रकृति और इंसानों का रिश्ता बहुत पुराना है। प्रकृति के सहारे ही मानव जाति का उद्धव संभव हो पाया है। आज भी भारत के कई जगहों पर प्रकृति की दी हुई चीजों के लिए उनकी पूजा यकर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। आज हमारे पास तकनीकों की कोई कमी नहीं हैं, हर कार्य के लिए तकनीक मौजूद है, लेकिन पहले के समय में ऐसा नहीं था। हर बात का पता लगाने के लिए इंसान प्रकृति पर ही निर्भर रहता था। जैसे आज मौसम में कब क्या बदलाव होने वाला है ये पता लगाने के लिए मौसम विभाग है, जिसके पास हजार उपकरण मौजूद हैं। हालांकि पहले के लोग ऐसा नहीं करते थे।

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ऐसे लगाया जाता है बारिश का पता

आज भले ही विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में पुरानी परंपराएं (old traditions) कायम हैं जिनमें लोगों को पूरी आस्था है। ऐसे ही बुंदेलखंड (Bundelkhand) के ग्रामीण अंचल में एक अनोखी परंपरा (unique tradition) है जिसे लोग आज तक मानते हैं और निभाते हैं। बुंदेलखंड में पक्षी के अंडे को देखकर पता लगाया जाता है कि बारिश कब और कितनी होगी। बुंदेलखंड के निवाड़ी (Niwari) जिले के जियार गांव में आज भी टिटहरी पक्षी (Sandpiper bird) के अंडे को देखकर पता लगाया जाता है कि कब और कितनी बारिश होगी।

अंडों के बीच देखा जाता है फासला

यह मान्यता है कि टिटहरी पक्षी जितने अंडे देती है, उन अंडों में से कितने अंडे आपस में चिपके हुए हैं और कितनों में अंतर है, ये देखकर तय किया जाता है कि मानसून के दौरान कैसी बारिश होगी। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर पक्षी के दो अंडे आपस में जुड़े हुए हैं तो इसका मतलब होता है कि इस साल दो माह तक अच्छी बारिश होगी, वहीं जितने अंडों में अंतर होता है, माना जाता है कि उतने महीनों में बारिश कम होगी। ये पक्षी पूरे देश में पाये जाते हैं। ये एक बार में सिर्फ 3-4 अंडे ही देते हैं। इनके अंडे मटमैले रंग के होते हैं। ये पक्षी अंडे देने के बाद काफी दूर बैठते हैं ताकि किसी को इनके अंडे के बारे में पता न चले।

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