Ajab Gajab : भारत का रहस्‍यमयी गुरुद्वारा, जहां कुदरत की मदद से बनता है लंगर, वैज्ञानिक भी हैरान

Ajab Gajab : गुरुद्वारा मणिकरण साहब की जो कि हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू में स्थित है। ये गुरुद्वारा पार्वती घाटी के बीच मौजूद झरने की वजह से काफी ज्‍यादा फेमस है। यही वो स्‍थान है जहां झरने से आने वाला पानी पूरे साल खौलता रहता है।

​Ajab Gajab, Manikaran Gurudwara, Manikaran Sahib Gurudwara

मणिकरण गुरुद्वारे का चमत्‍कारी कुंड।

Ajab Gajab : भारत में रहस्‍यमयी जगहों की कोई कमी नहीं है। हर प्रदेश, हर पर्यटन स्‍थल और हर जगह का अपना एक इतिहास है। इस बार हम ऐसी ही एक रहस्‍यमयी जगह की बात करने जा रहे हैं, जहां गुरुद्वारे में होने वाले लंगर का भोजन कुदरत की मदद से बनता है। इस जगह के बारे में सबसे बड़ा रहस्‍य ये है कि, यहां पर जो कुंड है उसका पानी पूरे साल खौलता रहता है। गर्मी हो, बरसात हो या कड़ाके की ठंड हो इस चमत्‍कारी कुंड पर किसी मौसम का कोई असर नहीं पड़ता है। इसका पानी अपने स्‍वरूप के अनुसार खौलता ही रहता है। इस चमत्‍कारी कुंड का इतिहास जानने के लिए दूर-दूर से वैज्ञानिक आते हैं और जब उन्‍हें इस खौलते पानी का स्रोत नहीं मिलता है तो उनका सिर भी चकरा जाता है।

गुरुद्वारा मणिकरण साहब

हम बात कर रहे हैं, गुरुद्वारा मणिकरण साहब की जो कि हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू में स्थित है। ये गुरुद्वारा पार्वती घाटी के बीच मौजूद झरने की वजह से काफी ज्‍यादा फेमस है। यही वो स्‍थान है जहां झरने से आने वाला पानी पूरे साल खौलता रहता है। ये पानी इतना गर्म होता है कि, सेवादार इसका प्रयोग लंगर का भोजन बनाने में करते हैं। माना जाता है कि, कुदरत खुद लंगर बनाने में सहयोग करने आती है। बता दें कि, 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गुरुद्वारे को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। इस स्‍थान से कुल्लू शहर की दूरी 35 किमी है।

दो कथाएं हैं प्रचलित

गुरुद्वारे के मणिकर्ण नाम के पीछे दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा ये है कि, माता पार्वती और भगवान शिव ने इस स्‍थान पर 11 हजार साल तक तपस्‍या की थी। यहां पर निवास के दौरान माता पार्वती का कीमती रत्‍न यानी मणि गिर गया था। जिसे ढूंढ़ने के लिए भगवान शिव ने अपने गणों को आदेश दिया। काफी प्रयासों के बाद भी जब उन्‍हें मणि नहीं मिला तो वे क्रोधित हो गए और उनका तीसरा नेत्र खुल गया। इस पर वहां नैना देवी शक्ति प्रकट हुईं और उन्‍होंने बताया कि, मणि पाताल लोक में जा गिरा है वहां शेषनाग के पास है। उसके बाद भगवान शिव के गण उसे शेषनाग के पास से ले आए। इस पर शेषनाग क्रोधित हो गया और उसकी फुफकार से गर्म पानी की धारा प्रवाहित हुई।

सिखों की मान्‍यता

सिखों में मान्‍यता है कि, गुरु नानक देव जब अपने पांच शिष्यों के साथ इस स्‍थान पर आए तो लंगर के लिए उन्‍हें सामग्री चाहिए थी। उन्‍होंने अपने शिष्य मर्दाना को एक बड़ा पत्‍थर, दाल और आटा मांग कर लाने के लिए कहा। किंवदंती है कि, मर्दाना ने जब पत्‍थर को उठाया तो वहीं से गर्म पानी की एक धारा बहने लगी और आज भी निरंतर प्रवाहित हो रही है।

मोक्षदायिनी स्‍थान

इस स्‍थान को मोक्षदायिनी स्‍थान माना जाता है। लोगों का कहना है कि, ये स्‍थान न केवल हिन्‍दू बल्कि सिख भाइयों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है। यहां मौजूद कुंड में यदि स्नान किया जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि, कुंड के गर्म पानी में लंगर के भोजन का चावल और दाल उबाला जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। वायरल (Viral News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लेटेस्ट न्यूज

शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited