Ajab Gajab News: भारत में यहां इंसानों की तरह जानवरों को भी मिलती है संडे की छुट्टी, 100 साल से कायम है परंपरा

Ajab Gajab News: झारखंड के लातेहार गांव में एक बहुत ही अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा के बारे में जानकर आप अपना दिल हार बैठेंगे। झारखंड में इंसानों की तरह पशुओं को भी 1 दिन की छुट्टी दी जाती है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ट्विटर)

मुख्य बातें
  • झारखंड में निभाई जाती है अनोखी परंपरा
  • पिछले 100 सालों से कायम है यह परंपरा
  • संडे के दिन नहीं लिया जाता जानवरों से काम

Ajab Gajab News: भारत के गांवों में आज भी सैकड़ों साल पुरानी परंपराएं जीवित हैं। इन परंपराओं का निर्वहन न सिर्फ आज के लोग बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी कर रही हैं। झारखंड के लातेहार गांव में एक बहुत ही अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा के बारे में जानकर आप अपना दिल हार बैठेंगे। हर किसी को काम के बीच में छुट्टी की दरकार होती है। इससे उसकी शारीरिक क्षमता पर अच्छा प्रभाव तो पड़ता ही है, इसके साथ ही उसकी मानसिक स्थिति भी अच्छी होती है।

इसी को देखते हुए झारखंड में इंसानों की तरह पशुओं को भी 1 दिन की छुट्टी दी जाती है। गांव के लोग कहते हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा यह परंपरा लगभग 100 साल पहले शुरू की गई थी। 100 साल पूरे होने के बाद इसका पालन आज भी गांव के लोग कर रहे हैं। यहां के लोग मानते हैं कि जिस तरह इंसानों को लगातार काम के बाद छुट्टी चाहिए होती है, उसी तरह जानवरों को भी काम से ब्रेक चाहिए होता है। इस कारण गांव के लोग संडे के दिन जानवरों से कोई काम नहीं लेते हैं।

खेत में काम करते समय हो गई थी बैल की मौत

जिस तरह मनुष्यों को अपने सुख - सुविधाओं का ख्याल रहता है, वैसे ही यहां के लोग पशुओं के सुख - सुविधाओं का पूरा ख्याल रखते हैं। लातेहर में रविवार के दिन पशुओं को अवकाश दिया जाता है। इस दिन उनसे किसी भी प्रकार का काम नहीं करवाया जाता। ग्रामीणों की मानें तो पशुओं को भी आराम की जरूरत है। दरअसल, करीब 100 साल पहले खेत में काम करते समय गांव के एक बैल की मौत हो गई थी। इसके बाद ही गांव वालों ने निष्कर्ष निकाला कि मवेशियों से काम तो करवाया जाएगा, लेकिन हफ्ते में एक दिन उन्हें आराम दिया जाएगा। इसके बाद हरखा, ललगड़ी, मोंगर और पकरार गांवों में यह चलन देखने को मिलता है।

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आदित्य साहू author

देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले और हरिवंशराय बच्चन के शहर प्रयागराज में पैदा होने के बाद साल 2015 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारित...और देखें

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