Ajab Gajab: न किसी लोहे का इस्तेमाल न ही सीमेंट-बालू, पेड़ की लताओं से बने पुल को पार करते समय कांप जाते हैं लोग

Ajab Gajab News: यह पुल ऐसा है, जिसे पार करते समय लोगों के हाथ-पांव फूल जाते हैं। हर समय लगा रहता है कि कहीं पुल टूटकर नीचे न गिर जाए। 45 मीटर लंबा यह पुल देखने में भले ही बेहद शानदार लग रहा है, लेकिन इसे पार करने में लोगों की हालत खराब हो जाती है।

vine bridge in japan

पेड़ की लता से बना पुल (ट्विटर)

Ajab Gajab News: सोचिए जब पुराने जमाने में आधुनिक टेक्नोलॉजी नहीं थी तो लोग कैसे जीवन यापन करते थे। आज नदियों में सीमेंट और कंक्रीट के बड़े-बड़े पुल बनाए जा चुके हैं, लेकिन 500-800 साल पहले के लोग नदी को पार करने के लिए क्या करते थे? कुछ लोगों का जवाब होगा कि तब लोग नाव से नदी पार करते थे। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 500-800 साल पहले भी नदियों पर पुल बनाए जाते थे। हालांकि, तब सीमेंट और कंक्रीट नहीं बल्कि पेड़ की लताओं का इस्तेमाल किया जाता था।

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पेड़ की लताओं से बनाया गया है अनोखा पुल

आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे पुल के बारे में बताने जा रहे हैं। जो पेड़ की लताओं से बना है। यह पुल ऐसा है, जिसे पार करते समय लोगों के हाथ-पांव फूल जाते हैं। हर समय लगा रहता है कि कहीं पुल टूटकर नीचे न गिर जाए। यह अनोखा पुल भारत में नहीं बल्कि जापान में है। यह अनोखा पुल शिकोकू द्वीप पर इया घाटी में मौजूद है। बता दें कि इस इलाके का इस्तेमाल अक्सर समुराई योद्धा छिपने के लिए करते थे। इसी इलाके में यह अनोखा पुल बना हुआ है।

दुश्मनों के हमले से बचने के लिए बनाए गए थे पुल

800 साल पहले इया घाटी में घुमावदार नदी की वजह से बुनी हुई लताओं से दर्जनों अस्थायी पुल बनाए गए थे। कई लोगों का कहना है कि अपने प्रतिद्वंद्वी जेनजी कबीले से हार के बाद हेइके कबीले के लोगों ने यह पुल बनाया था। दरअसल, यह पुल हेइके कबीले के लोगों के लिए एक रक्षा तंत्र की तरह काम करता था। जब दुश्मन कबीले के लोग इसे पार करके उनके इलाके में घुसने का प्रयास करते थे तो लताओं से बने इस पुल को आसानी से काटा जा सकता था। अब इस इलाके में सिर्फ इया कज़ुराबाशी पुल ही चलने की अवस्था में है।

एक गलती से नदी में जा सकता है इंसान

45 मीटर लंबा यह पुल देखने में भले ही बेहद शानदार लग रहा है, लेकिन इसे पार करने में लोगों की हालत खराब हो जाती है। पुल तक चलते समय लोग बेल से बनी साइड रेलिंग पर लटक जाते हैं। बेल से बनी होने के कारण चलते समय लोग उछलते रहते हैं। कई बार लगता है कि यह आठवीं शताब्दी का बना यह पुल टूटने ही वाला है। आपको लग रहा होगा कि इस पुल पर चलते समय लोग प्रकृति का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा करने में इंसान का ध्यान भटक सकता है और टेढ़ा-मेढ़ा पैर रखने से वह सीधे खाई में बह रही नदी में जा सकता है।

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आदित्य साहू author

देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले और हरिवंशराय बच्चन के शहर प्रयागराज में पैदा होने के बाद साल 2015 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारित...और देखें

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