अक्षय तृतीया पर स्पेशल हापुस आमों से सजाया गया गणपति बप्पा का दरबार, मनमोहक तस्वीर देख दिल हार बैठेंगे
Akshaya Tritiya: हिंदू पंचांग में अक्षय तृतीया का दिन सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस मौके पर महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर को आज बहुत ही अनोखे तरीके से सजाया गया। मंदिर में विराजित गणपति बप्पा के दरबार को खास हापुस आमों से सजाया गया।

श्री सिद्धिविनायक मंदिर
- देशभर में मनाया जा रहा अक्षय तृतीया का त्योहार
- गणपति बप्पा के दरबार को खास तरीके से सजाया
- स्पेशल हापुस आमों से सजाया गया बप्पा का दरबार
Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया को शुभ दिन माना जाता है। यह दिन साल के उन साढ़े तीन मुहूर्त में शामिल होता है जिन्हें सबसे शुभ दिन का दर्जा प्राप्त है। इस दिन बिना सोचे विचारे कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आज देशभर में हिन्दू धर्म और जैन समुदाय के लोग अक्षय तृतीया मना रहे हैं। हिंदू पंचांग में सबसे शुभ दिन माने गए अक्षय तृतीया के दिन हजारों की संख्या में गृह प्रवेश होते हैं। आज महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर को बहुत ही अनोखे तरीके से सजाया गया है।
गणपति बप्पा के मंदिर में लगी श्रद्धालुओं की भीड़
अक्षय तृतीया के मौके पर आज सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर महाराष्ट्र के मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में अनोखा नजारा देखने मिला। इस मंदिर में विराजित गणपति बप्पा के दरबार को खास हापुस आमों से सजाया गया। इसकी मनमोहक तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई है। बता दें कि अक्षय तृतीया के मौके पर गणपति बप्पा के मंदिर को हापुस आमों से सजाने की परंपरा कई सालों से चली जा रही है।
अक्षय तृतीया के मौके पर गणपति बप्पा को आमों से हर साल सजाया जाता है। अक्षय तृतीया का दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी उत्तम माना गया है। यदि इस दिन पितरों के नाम से श्राद्ध और तर्पण किया जाए तो कुंडली में पितृ दोष का प्रभाव कम होने लगता है। गौरतलब है कि इस साल अक्षय तृतीया के साथ ही परशुराम जयन्ती (Parshuram Jayanti date 2023) भी मनाई जा रही है।
इसलिए मनाते हैं अक्षय तृतीया
धार्मिक मान्यताओं अनुसार, युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने की इच्छा जताई थी। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने बताया था कि ये परम पुण्य तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, यज्ञ, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण और दानादि करने वाले व्यक्ति को अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी और देवताओं में विश्वास रखने वाला वैश्य रहता था। किसी ने उसे यह व्रत करने की सलाह दी। इस पर्व वाले दिन उसने गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की और जरूरतमंदों को दान दिया था। मान्यताओं के अनुसार, अगले जन्म में वह वैश्य कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया की पूजा और दान के प्रभाव से वह वैश्य बहुत धनी और प्रतापी बना था।
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