Viral Video: हिंदी बोलने पर नाराज हो गए जज साहब, फिर वकील ने जो कहा चुपचाप सुनने लगे
Viral Video: सामने आए वीडियो में देखेंगे कि हिंदी भाषा में जिरह को लेकर जज और वकील के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। फिर आखिर में जो हुआ बार-बार देखेंगे।
भाषा को लेकर जज और वकील के बीच हुई तीखी बहस। (फोटो-वीडियो स्क्रीनशॉट)
मुख्य बातें
- हिंदी में जिरह को लेकर भिड़े जज और वकील
- जज ने मांगा अनुवाद तो भड़क गए वकील साहब
- फिर जो दिखा बार-बार देखेंगे आप
Viral Video: सोशल मीडिया में जज और वकील के बीच जिरह से जुड़ा एक मजेदार वीडियो छाया हुआ है। इसमें दोनों पक्षों के बीच भाषा को लेकर काफी तीखी नोकझोंक होती है। जज साहब अंग्रेजी में वकील से अपने बात कहने पर जोर डालते हैं, जबकि वकील साहब हिंदी में जिरह करने पर अड़े रहे। इसमें जब जज हिंदी में जिरह करने को तैयार नहीं हुए तो वकील ने ऐसी बात कही कि बेचारे चुपचाप पूरी बात सुनने लगे। कोर्ट रूम में दोनों के पक्षों के बीच बहस से जुड़ा ये वीडियो सोशल मीडिया में हर तरफ छाया हुआ है। वीडियो कुछ ही समय में बड़ी संख्या में व्यूज बटोर चुका है।संबंधित खबरें
हिंदी में जिरह को लेकर भिड़े जज और वकील
वीडियो की शुरुआत में देखेंगे कि वकील हिंदी में बोलते हुए अपना पक्ष रखते हैं। मगर इससे पहले वो कुछ बोल पाते तभी जज ने उन्हें बीच में टोका। उन्होंने अंग्रेजी में पूछा कि हिंदी में पढ़ रहे हैं। क्या उन्हें लगता है कि मैं हिंदी समझ लूंगा। जज ने कहा कि वो हिंदी समझने में सक्षम नहीं है। इसपर वकील ने भी मजेदार जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'हुजूर यही तो रोना है। हम भी अंग्रेजी नहीं समझ पा रहे हैं।' अब जज ने जवाब दिया कि उनकी याचिका खारिज कर दी गई है। अब जिरह कर रहे वकील ने जो बात कही सुनकर चौंक जाएंगे। उन्होंने जज साहब को समझाया कि उनकी याचिका फुल बेंच की लाइट में खारिज करनी चाहिए। संबंधित खबरें
फिर चुप हो गए जज साहब
इसपर दोनों पक्षों के बीच नियमों को लेकर बहस शुरू हो गई। मगर वकील ने ऐसा जवाब दिया कि जज साहब को चुप होना पड़ा। वकील ने कहा, 'नियम हिंदी के पक्ष में हैं। बिना सुने हुए आगे बढ़ने का नियम नहीं है। पहले सुनकर हुजूर को आगे बढ़ना है। आज भी पटना हाईकोर्ट में सभी न्यायमूर्ति सुन रहे हैं।' संबंधित खबरें
यहां देखिए वीडियो
मजेदार है कि जिरह में वकील ने जोरदार तर्क देते हुए कहा, अनुवाद मांगा जा रहा है। मगर हम कहते हैं कि अनुवाद अनुवादक विभाग से मांगा जाना चाहिए। अनुवादक विभाग आजादी के पहले से है। उनको जो तनख्वाह मिलती है उसमें हमारा हिस्सा है। फ्रेम के आखिर में देखेंगे कि वकील का जोरदार तर्क सुनकर जज साहब भी चुप हो गए।संबंधित खबरें
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Ikramuddin author
पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए करीब 9 साल पूरे हो चले हैं। साल 2011-14 में दिल्ली यूनिवर्सिट...और देखें
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