मजबूरी या पागलपन ? 104 दिन तक नॉनस्टॉप जॉब करने वाले शख्‍स की दर्दनाक मौत, इंटरनेट पर छिड़ी बहस

Viral News: कंपनियों में जॉब करने वाले लोगों की छुट्टी न मिलने के कारण मौत और नॉनस्‍टॉप वर्क कल्‍चर के केस लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में आए ऐसे एक मामले ने सोशल मीडिया पर एक बहस को जन्‍म दे दिया है।

चीनी शख्‍स की मौत।

चीनी शख्‍स की मौत।

मुख्य बातें
  • 104 दिन तक नॉनस्टॉप जॉब करता रहा चीनी शख्‍स
  • कोर्ट ने माना चीनी श्रम कानून का स्पष्ट उल्लंघन
  • परिवार को लगभग ₹ 47,19,036 का मुआवजा देने का ऐलान
Viral News: 'नौकरीपेशा लोगों को अपने ऑफिस से लीव मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा है'.....ये हम नहीं कह रहे ये कहना है इंटरनेट यूजर्स का हाल ही में सामने आई एक खबर पढ़कर भड़क उठे हैं। दरअसल, एक 30 वर्षीय चीनी चित्रकार को केवल एक दिन आराम के साथ 104 दिनों तक नॉनस्‍टॉप करना पड़ा, नतीजा ये रहा कि मल्‍टीपल ऑर्गन फेल (शरीर के अंगों की विफलता) के कारण उसकी मौत हो गई। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने दावा किया है कि, फरवरी 2023 से सख्त अनुबंध के तहत काम करने वाले अबाओ को एक गंभीर न्यूमोकोकल संक्रमण हो गया, जिसके कारण इस साल जून में उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, टाइम्‍स नाउ नवभारत इन वायरल दावों की पुष्टि नहीं करता है।

जॉब करते-करते लग गई ये गंभीर बीमारी

रिपोर्ट के मुताबिक, अबाओ ने इस साल जनवरी तक झेजियांग प्रांत के एक शहर झोउशान में एक परियोजना पर काम करने के लिए सहमति जताई थी। उनका शेड्यूल बहुत थका देने वाला था, उन्हें फरवरी से मई तक रोजाना काम करना था और 6 अप्रैल को ही उन्होंने कुछ समय के लिए आराम किया था। 25 मई को अबाओ बुरी तरह से बीमार हो गए और उन्होंने एक दिन की लीव ले ली, जिसके बार उनकी स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति लगाता बिगड़ती चली गई। तकरीबन तीन दिन बाद उनके सहकर्मी उन्हें हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें फेफड़ों में इंफेक्‍शन बताया और उसका इलाज किया। चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद, कुछ दिनों बाद अबाओ की मृत्यु हो गई।

परिवार ने की न्‍याय की मांग

अबाओ की मौत के बाद, उनके परिवार ने उनके नियोक्ता के खिलाफ घोर लापरवाही का मुकदमा दर्ज करा दिया है। सोशल मीडिया पर जब यह मामला नियंत्रण से बाहर हो गया तो सामाजिक सुरक्षा अधिकारियों ने विवादास्पद रूप से फैसला सुनाया कि उनकी मृत्यु को कार्य-संबंधी चोट के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है, जिसमें उनकी मृत्यु के समय को एक प्रमुख कारक बताया गया। परिवार ने कहा कि, बिना रुकने वाले, थका देने वाले शेड्यूल और आराम की कमी ने सीधे तौर पर अबाओ की मौत में योगदान दिया।

कंपनी की भी सुनिए

कंपनी ने अपने बयान में कहा कि, अबाओ का कार्यभार उचित था और काम के अतिरिक्त घंटों में उन्‍होंने स्‍वेच्‍छा से काम किया था। कहा गया कि, अबाओ को पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं थीं जिसका उन्‍होंने इलाज नहीं कराया। बहरहाल, अदालत ने अबाओ के परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें नियोक्ता को उसकी मौत के लिए 20% जिम्मेदार ठहराया गया। फैसले में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि लंबे समय तक काम करना चीनी श्रम कानून का स्पष्ट उल्लंघन था, जो काम को प्रति दिन 8 घंटे और प्रति सप्ताह 44 घंटे तक सीमित करता है।

देना पड़ेगा इतना मुआवजा

अदालत ने अबाओ के परिवार को 400,000 युआन (लगभग ₹ 47,19,036) का मुआवजा दिया, जिसमें भावनात्मक परेशानी के लिए 10,000 युआन शामिल हैं। हालांकि, अब सोशल मीडिया पर इस मामले पर काफी चर्चाएं हो रही हैं। कॉरपोरेट जगत में काम करने वाले एम्‍प्‍लॉय और सोशल मीडिया यूजर्स भी कंपनियों की संवेदनहीनता पर सवाल उठा रहे हैं और छुट्टी ने देने के लिए भी कंपनियों को खरी-खोटी सुना रहे हैं।
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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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