50 से ज्‍यादा सर्टिफिकेट और दर्जनों मेडल...इंटर्नशिप के लिए कुछ भी नहीं आया काम, DU टॉपर का सोशल मीडिया पर छलका दर्द

Viral News: छात्रा ने बताया कि, 'कंपनियां ऐसे छात्रों की तलाश नहीं कर रही हैं जो उत्तर दे सकें, बल्कि वे ऐसे छात्रों की तलाश कर रही हैं जो काम करके दिखा सकें।' इस पोस्‍ट को पढ़ने के बाद यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा द्वारा अर्जित सर्टिफिकेट।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा द्वारा अर्जित सर्टिफिकेट।

Viral News: दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रथम वर्ष की छात्रा ने इंटर्नशिप पाने के पीछे अपने संघर्ष को शेयर किया है। छात्रा ने पोस्‍ट में अपना नाम बताने के साथ ही ये भी बताया कि, उसके पास 50 से ज्‍यादा सर्टिफिकेट, 10 से ज्‍यादा मेडल और 10 से ज्‍यादा ट्रॉफियां हैं। वह वर्तमान में दिल्ली के हंसराज कॉलेज से अंग्रेजी ऑनर्स में स्नातक की पढ़ाई कर रही है। हालांकि, अपने कौशल और ग्रेड के बावजूद, वह इंटर्नशिप मिलने में उसे काफी समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्रा ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैं एक टॉपर हूं और मुझे इंटर्नशिप नहीं मिल पा रही है।' उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें यह स्वीकार करने में थोड़ा समय लगा कि 'टैलेंट अंकों से ज्‍यादा मायने रखता है।'

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा ने लिखा, 'मेरे सभी प्रोफेसरों और शिक्षकों तथा रिश्तेदारों ने कहा- अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो! पढ़ाई काम आएगी, ये नहीं!' हालांकि, वास्तव में, उसने कहा कि कंपनियां ऐसे छात्रों की तलाश नहीं कर रही हैं जो उत्तर दे सकें, बल्कि वे ऐसे छात्रों की तलाश कर रही हैं जो काम करके दिखा सकें। छात्रा ने लिखा, 'कंपनियां रटने के अलावा किसी कौशल वाले टॉपर्स को काम पर नहीं रखना चाहतीं, बल्कि ऐसे लोगों को रखना चाहती हैं जो अच्छे अंकों के साथ किसी कौशल में पारंगत हों। देखिए, मैं आपसे अपनी किताबें जलाने और अपने बैग फेंकने के लिए नहीं कह रही हूं, मैं आपसे बस इतना कह रही हूं कि कोई कौशल सीखिए, उसे आदत के रूप में अपनाइए, उसमें निपुणता हासिल कीजिए और आप पाएंगे कि अवसर तुरंत आपकी ओर दौड़े चले आ रहे हैं!'

अपनी पोस्ट के अंत में छात्रा ने बताया कि उनके पास 50 से अधिक प्रमाण-पत्र, 10 से अधिक पदक और 10 से अधिक ट्रॉफियां हैं, लेकिन इनमें से किसी ने भी मेरी इंटर्नशिप इंटरव्‍यू में मदद नहीं की। शेयर किए जाने के बाद से ही छात्रा की ये पोस्ट वायरल हो गई है, जिससे ऑनलाइन कौशल बनाम अंकों पर एक नई बहस को जन्‍म दे दिया। कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि वे उनकी भावना को समझते हैं और ऐसा ही झेल चुके हैं। एक यूजर ने कहा कि, 'स्कूल या कॉलेज में टॉपर होना कागज पर तो अच्छा लग सकता है, लेकिन वास्तविक दुनिया में, संगठन अकादमिक रैंकिंग की तुलना में व्यावहारिक अनुभव और व्यावहारिक कौशल को अधिक महत्व देते हैं।' दूसरे ने कहा कि, 'मैं खुद एक टॉपर हूं, इसलिए मेरे लिए इससे अधिक सत्य कुछ नहीं हो सकता। शिक्षा प्रणाली स्वयं अपने बच्चों को पेशेवर दुनिया के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है।' तीसरे ने कहा कि, 'प्रतियोगी परीक्षाओं में प्राप्त अंक मायने रखते हैं और नौकरी पाने में आपकी मदद करते हैं या कम से कम नौकरी के लिए इंटरव्यू रूम में जाने में आपकी मदद करते हैं, बाकी सब आपके दृष्टिकोण और कौशल पर निर्भर करता है। 12वीं कक्षा तक के अंक आपको कुछ मामलों में IIM/MBB इंटरव्यू जैसी कड़ी प्रतिस्पर्धा में मदद करते हैं। तो हां, अच्छे अंक मायने रखते हैं। लेकिन शॉर्टलिस्ट होने या नौकरी मिलने के बाद आप जो पेशकश करते हैं, वह सबसे ज्यादा मायने रखता है।'

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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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