एक ऐसा किला... जहां गोला बारूद खत्म होने पर दागे गए थे 'चांदी के गोले', बड़ी ही रोचक है कहानी
राजस्थान के इस किले की कहानी भी बड़ी रोचक है। एक बार युद्ध के दौरान जब बारूद खत्म हो गया था तो दुश्मनों पर चांदी के गोले बरसाए गए थे। इस किले की कहानी काफी रोचक है।
चूरू का किला, राजस्थान (फोटो साभार - ट्विटर)
- सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक है चूरू का किला
- बारूद खत्म होने पर चांदी के गोले दागे गए थे
- काफी रोचक है इस किले की कहानी
Churu Fort Rajasthan: हमारे देश में यूं तो हजारों किले हैं, लेकिन इसमें से कुछ ऐसे किले हैं, जिनके बारे में सुनने और जानने में बड़ा ही रोचकता महसूस होती है। या यूं कहें कि इनके बारे में जानना भी किसी रोमांच से कम नहीं है तो ये गलत नहीं होगा। आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के एक ऐसे किले के बारे में, जिसका अपना एक अलग इतिहास है। इसके बारे में सुनते ही लोगों को वह मंजर याद आने लगता है, जिसे कभी यहां के लोगों ने अपने आंखों से देखा है।
हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के चूरू जिले में स्थित चूरू किला के बारे में..। पहले तो जान लीजिए कि इस किले को लगभग 400 साल (17वीं शताब्दी के अंत में) पहले ठाकुर कुशल सिंह ने बनवाया गया था। फिर 19वीं सदी का वह दौर आया, जब इस किले ने एक ऐसी लड़ाई देखी, जिसने इसे हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया। 1814 ईसवी में बीकानेर रियासत के राजा सूरत सिंह ने इस पर हमला कर दिया था। इस लड़ाई में चूरू की सेना का मनोबल टूट रहा था, इसका कारण था किले के गोला बारूद का खत्म होना। लेकिन तब चूरू की प्रजा ने अपना प्रजा-धर्म निभाया और अपने तत्कालीन राजा शिवजी सिंह को एक अनोखा दान दिया, जो इतिहास के पन्नों में अब तक का अपने राजा को दिया गया सबसे बड़ा दान है।
चूरू किले में रखा गया तोप
दुश्मनों पर बरसाए थे चांदी के गोले
तब चूरू के प्रजा ने अपने राजा को अपना सारा जेवर दे दिया। फिर इन्हीं जेवरों से गोले तैयार किए गए, जो बाद दुश्मनों पर बरसाए गए। फिर क्या.. दुश्मन घुटने टेंकने पर मजबूर हो गए थे। यह वाक्या इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिख गया, जिसे शायद कभी मिटाया नहीं जा सकता। इस किले के बारे में जानकर आपको कैसा लगा, हमें कमेंट कर जरूर बताएं।
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