एक ऐसा अनोखा मंदिर.. जहां भगवान खुद आए थे भक्त की गवाही देने, जानें क्या है अजीबो-गरीब कहानी
वृंदावन में स्थित पागल बाबा मंदिर की कहानी बड़ी दिलचस्प है, जिसे सुनने के बाद आप भी श्रीकृष्ण के प्रेम डूब जाएंगे। जैसा इस मंदिर का नाम है, बिल्कुल वैसा ही इस मंदिर के पीछे की कहानी है। आइए जानते हैं मंदिर के पीछे की कहानी...
पागल बाबा मंदिर वृंदावन (Photo Credit - Twitter '@Expedition2Inc')
- वृंदावन का पागल बाबा मंदिर
- नाम की तरह मंदिर की कहानी भी अनोखी
- जहां भक्त की गवाही देने स्वयं भगवान आए थे
Pagal Baba Mandir Vrindavan: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, जहां कई सुंदर व बेहतरीन नक्काशी वाले मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। लेकिन यहां कई ऐसे भी मंदिर है, जो अपने आप में काफी अनोखे है। यहां की कहानियां और किस्से सुनने के बाद आपको मंदिर जाने की इच्छा हो जाएगी। आज बात भी ऐसे ही एक मंदिर के बारे में करेंगे, जिसकी कहानी भी काफी अनोखी है। इतना ही नहीं, इस मंदिर का नाम भी काफी यूनिक है। यह वृंदावन में स्थित है। वृंदावन में स्थित इस मंदिर का नाम पागल बाबा मंदिर है।
इस मंदिर की कहानी भी इसके नाम की तरह ही काफी अनोखी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनवाने वाले बाबा को लोग 'पागल बाबा' के नाम से जानते थे। फिर उन्हीं के नाम पर ही इस मंदिर का नाम पागल बाबा मंदिर पड़ा। इस मंदिर के पीछे एक कहानी काफी प्रचलित है, जिसे आप वृंदावन के हर एक शख्स से जान सकते हैं। किवंदती के अनुसार, काफी साल पहले बांके बिहारी मंदिर का एक ब्राह्मण एक सूतखोर से ब्याज पर पैसा लिया था, इसके बाद वह हर महीने उसे ब्याज के पैसे दे आता था। जब आखिरी किश्त की बारी आई तब उस सूतखोर ने ब्राह्मण को काफी परेशान किया और कहा कि अभी तक तुमने एक भी किश्त के पैसे नहीं दिए। इसके बाद क्या होना था, मामला कोर्ट में पहुंचा। फिर जज साहब ने ब्राह्मण से पूछा कि अगर तुमने पैसे दिए है तो इसका कोई सबूत है तुम्हारे पास तो लेकर आओ और इतना कहते हुए उसे अगली तारीख दे दी। 'मेरे प्रभु आएंगे' कहते हुए ब्राह्मण निकल गया और बांके बिहारी के मंदिर जाकर कोर्ट से मिले नोटिस को श्रीकृष्ण के चरणों में सौंपकर बोला कि प्रभु अब आप ही को मेरे लिए आना होगा और गवाही देने होगी।
पागल बाबा मंदिर की अनोखी कहानी
ऐसे में जब कोर्ट में अगली तारीख के दिन जज साहब ने पूछा कि कोई आया है गवाही देने या नहीं तो एक बुजुर्ग खड़े हुए और बोले कि "मैं हूं इनकी ओर से गवाही देने वाला"। फिर बुजुर्ग ने बताया कि जब ये सूतखोर को पैसा देता था तो मैं इसके साथ ही रहता था, आप उसके रजिस्टर के पन्नों में देख लीजिए। फिर बुजुर्ग ने पन्नों के नंबर भी बताए। जब चेक किया गया तो सही निकला। फिर बुजुर्ग वहां से चले गए, ऐसे में जब कोर्ट में पूछा गया तो तुमने तो कहा था कि भगवान आएंगे लेकिन वे तो आए नहीं। तो बुजुर्ग ने कहा कि यही तो मेरे बांके बिहारी थे, जो मेरे लिए गवाही देने आए थे। वरना मेरे साथ इस सूतखोर के पास कोई नहीं जाता था। फिर जब बाहर जाकर देखा गया तो वहां कोई नहीं था। फिर जज साहब के अंदर भी भक्ति मोह जागा और वे मोह-माया को त्याग तपस्वी बन गए, फिर जब वे वृंदावन लौटे तो लोग उन्हें पागल बाबा कहकर बुलाने लगे, फिर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया और मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर ही रखा गया। वैसे इस मंदिर का नाम लीलाधाम है, जो नौ मंजिला है। ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में जानकर आपको कैसा लगा, हमें कमेंट कर जरूर बताएं।
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