Hawa Mahal Facts: जब जमीन पर खड़ी है ये इमारत तब क्यों कहा जाता है हवामहल, जानें इसके पीछे का रहस्य
गुलाबी नगरी में स्थित हवा महल के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा। लेकिन क्या आप इसके नाम के पीछे की वजह जानते हैं? आइए आपको बताते हैं हवा महल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य..
जयपुर की खूबसूरती में चार-चांद लगाता 'हवा महल' (Image Credit - iStock)
- गुलाबी नगरी में स्थित है हवा महल
- राजसी मुकुट पर आधारित है डिजाइन
- महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था हवा महल
Interesting Facts About Hawa Mahal: जयपुर भारत के उन शहरों में से एक है, जिसे वास्तुशास्त्र के हिसाब से बसाया गया था। ये शहर भारत के सबसे सुंदर शहरों में से एक है। राजा-महाराजा की इस धरती पर काफी खूबसूरत-खूबसूरत स्थान हैं, जिसे देखने के लिए न सिर्फ देश से बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। इसी शहर के बीचों-बीच बसा है मुग़ल और राजपूत शैली की झलक दिखाता हवा महल। इसके ऊपरी हिस्से से आप जंतर मंतर, सिरे देवरी बाजार और सिटी पैलेस का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं।
राजाओं की शानो-शौकत को बयां करती हवा महल
हवा महल की सुंदरता देखने के लिए सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। ये पर्यटन स्थल अपनी खिड़कियों और हवादार जालियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। कहते हैं कितनी भी गर्मी क्यूं न हो, हवा महल में आपको हमेशा हवा लगती है, इसी हिसाब से इसे बनाया भी गया है। यह इमारत अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है। यह आज भी यह राजाओं की शानो-शौकत को बयां करती है।
श्रीकृष्ण के मुकुट की तरह डिजाइन की गई है हवा महल
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस इमारत को आमेर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। यह खासकर रानियों के लिए बनवाया गया था, जहां से बाहरी नजारों और उत्सवों का आनंद ले पाती थी। गर्मियों में यहां राजपूत महिलाएं आया करती थीं, जो यहां पर हो रहे कठपुतली और शतरंज के खेल का आनंद लिया करती थीं। पिरामिड आकार में बनी यह इमारत पांच मंजिला बनाई गई थी। कहा जाता है महाराजा सवाई प्रताप सिंह श्रीकृष्ण के परम भक्त थे, इसीलिए हवा महल को कन्हैया के ताज की तरह बनवाया गया था, जिसे वास्तुकार लाल चंद उस्ताद द्वारा डिजाइन किया गया था।
मुगल और राजसी शैली का मिश्रित नमूना
बता दें, हवामहल में कुल 953 खिड़कियां हैं, जहां हवा के झरोखे मिलते रहते हैं। आज भी आप यहां चले जाएंगे तो खिड़कियों से आपको बराबर हवा मिलती रहेगी। यह बिना नींव की बनाई गई है और यह बिना नींव वाली दुनिया की सबसे बड़ा महल भी है। 15 मीटर ऊंचे इस महल की सबसे ऊपरी मंजिल की चौड़ाई केवल 1.5 फीट है। बेहतरीन कारीगरी के लिए प्रसिद्ध इस इमारत पर आप फूल-पत्तियों की नक्काशी देख सकते हैं। यह इमारत मुगल और राजसी शैली का मिश्रित उदाहरण भी है।
हवा महल का नाम 'हवा महल' कैसे पड़ा?
लेकिन इन सभी के मन में एक सवाल आता है कि हवा महल का नाम 'हवा महल' ही क्यों पड़ा? जबकि यह इमारत तो जमीन पर बनाई गई है तो फिर इसके नाम के पीछे का क्या कारण है? दरअसल, हवा महल के नाम के पीछे एक रोचक कहानी कही जाती है। इसके पांचवीं मंजिल पर एक मंदिर है, जिसका नाम हवा मंदिर है। इसी मंदिर के नाम पर ही इस इमारत का नाम हवा महल रखा गया था। वहीं, इस महल के प्रत्येक मंजिल पर शरद मंदिर, रत्न मंदिर, विचित्र मंदिर व प्रकाश मंदिर स्थित है।
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