Jeena Isi Ka Naam Hai: एक पैर खो देने के बाद भी 'वीणा' ने नहीं हारी हिम्‍मत, इस तरह अपने सपनों को दे रहीं ऊंचाई

Jeena Isi Ka Naam Hai: टाइम्‍स नाउ नवभारत आपके लिए लेकर आया है उन वायरल लोगों की कहानियों की सीरीज जिनके परिश्रम और संघर्ष के वीडियो सोशल मीडिया पर हजारों-लाखों लोगों को एक साथ प्रेरित करते हैं।

फूड कार्ट चलाने वालीं वीणा।

Jeena Isi Ka Naam Hai: इस प्रेरणादायी कहानी के केंद्र में हैं वीणा अंबरीश, जो कि 12वीं की विज्ञान की छात्रा थीं और एक भरतनाट्यम नर्तकी थीं। 2013 में वे अपने अरंगेत्रम (शास्त्रीय नृत्य में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एक छात्र द्वारा मंच पर किया जाने वाला पहला प्रदर्शन) की तैयारी कर रही थीं। कॉलेज जाते समय वह सड़क पार कर रही थीं, तभी एक BMTC (बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) बस ने सिग्नल तोड़ दिया और उसके दाहिने पैर पर चढ़ गई। द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 'बस ने पहले उनको छुआ जिससे वे गिर गईं, उसके बाद एक टायर उनके दाहिने पैर पर चढ़ गया। सौभाग्य से, उन्‍होंने उस दिन हील्स पहनी हुई थी, जिसकी वजह से टायर ने कुछ दबाव सोख लिया। 'मात्र 17 वर्ष की उम्र में वीणा ने काफी अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया।

इलाज में डॉक्‍टरों ने भी मानी हारवीणा ने बताया कि, 'मेरे पैर को बचाने के लिए कई तरह के प्रयास किए, लेकिन तीन सर्जरी विफल रहीं और अंत में, एक स्किन ग्राफ्ट किया गया। जब मैं बड़ी हो रही थी, तब से डॉक्टरों ने मेरे पैर को फिर से बनाने के लिए मेरी बाईं जांघ से मांस का उपयोग करने का प्रयास किया, लेकिन वे विफल रहे। उन्होंने तीन बार असफल प्रयास किया और पाया कि कुछ भी काम नहीं आया। उन्होंने अंततः कुछ त्वचा प्रत्यारोपित की और मुझे बताया कि मुझे इसके साथ रहना होगा। यह अभी भी बहुत नाजुक है और मुझे बाहर निकलने से पहले रोजाना इस पर पट्टी बांधनी पड़ती है। मैं छह महीने तक बिस्तर पर पड़ी रही।'

'आत्‍महत्‍या के आते थे विचार'वीणा ने द बेटर इंडिया को बताया कि, 'अस्पताल से निकलने के बाद मैं दो साल तक छड़ी के सहारे चलने में कामयाब रहीं। शुरू में, भयंकर दर्द के कारण यह बहुत मुश्किल था। उन्होंने स्पाइन एनेस्थीसिया के साथ तीन सर्जरी करवाईं, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में समस्याएँ और रीढ़ की हड्डी कमज़ोर हो गई। मेरा जीवन डांस के इर्द-गिर्द घूमता था। अब, मैं डांस नहीं कर सकती थी। मैं उदास महसूस करती थी और सोचती थी कि मेरी उम्मीदों और सपनों का क्या होगा जब मैं बिना घबराए तीन कदम भी नहीं चल सकती थी। तब मैंने आत्महत्या का भी प्रयास किया।'

इस तरह जीवन में आया सकारात्‍मक बदलाव

वीणा को विक्टोरिया अस्पताल में शारीरिक विकलांगता प्रमाण पत्र लेने के लिए जाना पड़ा। यहां उन्‍होंने एक ऐसी महिला को देखा जिसके दोनों पैर नहीं थे और इसके बावजूद भी वह अपने साथ एक बच्‍चे को लेकर तुमकुरु से बेंगलुरु आई थी। जब वीणा ने उस महिला को बच्चे को खुशी से दुलारते देखा तो उनकी परेशानियों के आगे वीणा को अपनी परेशानियां छोटी लगीं। उन्‍होंने सोचा कि ऐसा मैं क्यों नहीं कर सकती? मैं भी वह सब कर सकती हूं और करूंगी जो मैं चाहती थी। इसके बाद उन्‍होंने बोर्ड की परीक्षाएं दीं और फिर स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इतना ही नहीं बैंक की नौकरी छोड़कर आईटी में नौकरी कर ली।

डेस्‍क की नौकरी का तनाव

वीणा ने बताया कि, 'मेरे पास एक साउथ अमेरिकन कंपनी के साथ एक प्रोजेक्ट था, जिसका मतलब था 9 से 6 बजे तक ऑफिस का काम और उसके बाद रात 9:30 बजे मीटिंग, जो अक्सर 1 से 2 बजे तक खत्म हो जाती थी। मेरे पैर पर तनाव के कारण वायरल हो गया और मुझे 15 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। तभी मैंने फरवरी 2023 में नौकरी छोड़ने का फैसला किया।'

खुद का ब्रांड बनाना था सपना

नौकरी छोड़कर वीणा फूड कार्ट शुरू करना चाहती थीं। तमिलनाडु के मदुरै का फेमस मटन कीमा के साथ बनाया जाने वाला करी डोसा वो बनाना चाहती थीं। चूंकि, रेसिपी को बनाने के लिए खड़े रहना पड़ता इसलिए वे थोड़ा चिंति‍त हुईं। वे कहती हैं कि, 'मैं अपना खुद का ब्रांड बनाना चाहती थी और कुछ हासिल करना चाहती थी। मैं अपनी सीमाओं को पार करना चाहती थी और हर दिन कुछ नया करना चाहती थी। अगर मैं रोज़ाना आठ घंटे डेस्क जॉब कर सकती हूं, तो मैं चार घंटे खड़ी क्यों नहीं रह सकती?' इसके बाद बेंगलुरु के जेपी नगर में अपना फ़ूड कार्ट शुरू करने से पहले दो महीने तक उन्‍होंने रेसिपी पर काम किया।

बेंगलुरु तक पहुंचाया तमिलनाडु का स्‍वादअब वीणा बेंगलुरु की सड़कों पर वहां के लोगों तक तमिलनाडु का स्‍वाद पहुंचा रही हैं। वह हर दिन सुबह 4:30 बजे अपना दिन शुरू करती हैं और चिकन खीमा , प्रॉन थोक्कू (करी) और मटन खीमा से बने करी डोसा बेचती हैं। सादे डोसे की कीमत 10 रुपये है, जबकि मटन करी डोसा की कीमत 150 रुपये है। स्टॉल सुबह 7:30 बजे से 11:30 बजे तक खुला रहता है। वीणा के पति जो पेशे से फिटनेस ट्रेनर हैं, उनके सबसे बड़े चीयरलीडर हैं। वह रोज़ाना गाड़ी लगाने में उनकी मदद करते हैं, जबकि वह खुद ही सारी खरीदारी, खाना बनाना और परोसना संभालती हैं। दिन में चार घंटे से ज़्यादा खड़े रहने की वजह से उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह मन से खुश होने की वजह से आगे बढ़ती हैं, वह आगे कहती हैं कि उन्हें अपने ग्राहकों की संतुष्टि में खुशी मिलती है। वीणा इस मंत्र पर चलती हैं: "चाहे जीवन आपको कितना भी कठिन क्यों न लगे, पहले से अधिक मजबूत बनें।"

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