Jeena Isi Ka Naam Hai: जो लगाते थे अंगूठा वो अब कर रहे हैं सिग्नेचर, 28 साल की लड़की तोड़ रही 'अशिक्षा का चक्र'
Jeena Isi Ka Naam Hai: टाइम्स नाउ नवभारत आपके लिए लेकर आया है उन वायरल लोगों की कहानियों की सीरीज जिनके परिश्रम और संघर्ष के वीडियो सोशल मीडिया पर हजारों-लाखों लोगों को एक साथ प्रेरित करते हैं।
28 वर्षीय युवा शिक्षिका राजविंदर कौर। (फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम)
Jeena Isi Ka Naam Hai: कहते हैं कि, 'शिक्षक सुसभ्य और समृद्ध समाज का दर्पण यानी आईना होता है।' इस सूक्ति को 28 वर्षीय युवा शिक्षिका राजविंदर कौर बखूबी चरितार्थ कर रही हैं। पंजाब के बठिंडा जिले के बल्लोह गांव में वे एक 'बेबे बापू स्कूल' चलाती हैं। ये स्कूल कई बुजुर्गों के लिए उस आशा की किरण की तरह है जो गांव के वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज्ञान का मार्ग रोशन करता है। वैसे तो भारत विश्व में सफलता और उन्नति के नित नए आयाम स्थापित कर रहा है मगर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों का बुजुर्ग तबका शिक्षा से दूर रह गया। वे आज भी कागजों में सिग्नेचर की जगह अपना अंगूठा लगाते हैं क्योंकि उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता है। मगर ये 28 वर्षीय राजविंदर की दृढ़ शक्ति और दूरदर्शिता का परिणाम है कि इस साधारण से स्कूल में बुजुर्ग व्यक्तियों का बड़ा समूह शिक्षा ग्रहण करता है।
राजविंदर ने उठाया बुजुर्गों की शिक्षा का बीड़ा
राजविंदर कौर ने उम्र और सामाजिक मानदंडों को चुनौती दे रहे बुजुर्गों को प्रोत्साहित करने के लिए 'बेबे बापू स्कूल' की स्थापना की। यहां कई बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष पढ़ने के लिए आते हैं जो आर्थिक और सामाजिक बाधाओं के कारण उनकी युवावस्था में शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाए। स्कूल में करीब 100 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिस में से अधिकतर 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
बेबे बापू स्कूल में अध्ययनरत वरिष्ठ।
बुजुर्गों के पढ़ने का कारण
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजविंदर ने बताया- 'बुजुर्गों का कहना है कि,दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बजाय अंगूठे का निशान लगाते वक्त उन्हें काफी शर्म महसूस होती है। हालांकि, कुछ बुजुर्ग विदेश में रह रहे उनके बच्चों के पास जाना चाहते हैं और वे नहीं चाहते हैं कि बच्चों के सामने वे अशिक्षित दिखें। इसलिए बुजुर्गों ने शिक्षा की राह पकड़ी। बुजुर्गों को पढ़ने के साथ गणित और अंग्रेजी सिखाई जाती है। बुजुर्गों को प्रोत्साहन हेतु पुस्कार दिए जाते हैं और जब वे सिग्नेचर करना सीख जाते हैं तो उनको मैं 100 रुपये बतौर इनाम देती हूं।'
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शाश्वत गुप्ता author
पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ए...और देखें
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