अनोखा मामला: एक ऐसा शख्स जो चावल-दाल की जगह खाता है पत्थर, चौंकाने वाला है कारण

छत्तीसगढ़ में एक ऐसा शख्स है, जो करीब 20 साल से दाल-चावल के बदले पत्थर खा रहा है। बड़ी बात ये है कि पत्थर खाने से उसे कोई नुकसान भी नहीं होता है। शख्स का कहना है कि वो लोगों के लिए ऐसा करता है।

man Eat Only stones From 20 Years

20 साल से पत्थर खाता है ये शख्स

तस्वीर साभार : Times Now Digital

Ajab Gajab News: ये दुनिया अजीबोगरीब चीजों से भरी हुई है। यहां आपको कब, क्या देखने और सुनने को मिल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता? आज हम आपको एक ऐसे ही मामले से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसके बारें में जानकर आप ना केवल दंग रह जाएंगे, बल्कि सोच में पड़ जाएंगे कि क्या सच में ऐसा हो सकता है? आज तक आपने लोगों के कई अजीबोगरीब शौक देखे होंगे। लेकिन, कभी किसी को पत्थर खाने का शौक देखा है। सुनकर ही आपको झटका लगा होगा, लेकिन एक शख्स ऐसा है जो दाल-चावल नहीं बल्कि पत्थर खाता है। तो आइए, जानते हैं इस शख्स के बारे में कुछ मजेदार बातें...

जब बच्चे छोटे होते हैं तो आपने किसी को मिट्टी, तो किसी को चॉक, तो किसी को ईंट या फिर कुछ अजीबोगरीब चीजें खाते हुए देखा होगा। हालांकि, समय के साथ ये आदतें छूट जाती है। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी ये आदत उम्रभर रह जाती है। लेकिन, आज हम जिस शख्स के बारे में बात कर रहे हैं वो पिछले करीब 20 साल से पत्थर का सेवन कर रहा है। लेकिन, इसके पीछे कारण वो कुछ और ही बताता है। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले स्थित बगीचा का रहने वाला इस शख्स का नाम संतोष लकड़ा है। संतोष पेशे से एक किसान है और उसके पांच बच्चे हैं। लेकिन, जिस तरह से वो पत्थर खाता है उसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। 51 साल का संतोष काफी समय से पत्थर खा रहा है, लेकिन उसे कोई तकलीफ नहीं होती है। इतना ही नहीं उसका पेट भी भर जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संतोष की पत्नी का कहना है कि वो अब तक हजारों पत्थर खा चुके हैं।

... तो पत्थर खाने का ये है कारण

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये पत्थर क्यों खाता है? दरअसल, संतोष का कहना है कि वो लोगों के दुखों को दूर करने के लिए वो पत्थर का सेवन करता है। संतोष का कहना है कि वो ईसाई धर्म का पालन करता है। उसने ये भी दावा किया है कि इससे उसने कई लोगों की तकलीफों को दूर भी किया है। संतोष का यहां तक कहना है कि उसे ईश्वर की विशेष कृपा प्रदान है। लेकिन, इस सच्चाई की गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी।

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Kaushlendra Pathak author

मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले का रहने वाला हूं और समस्तीपुर जिले में पला-बढ़ा। 12वीं करने के बाद देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का रूख किया और दिल्ल...और देखें

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