Ajab Gajab: राजस्थान में मात्र एक तरबूज के लिए हुई खूनी जंग, हजारों सैनिकों ने गंवा दी थी अपनी जान
Matire ki Ladaai: एक तरबूज के लिए लड़ा गया यह युद्ध दो रियासतों के बीच हुआ था। तरबूज के कारण हुए युद्ध को 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में दोनों ओर से कई सौ सैनिक मारे गए थे।
मतीरे की राड़ (ट्विटर)
Matire ki Ladaai: इतिहास में बहुत सारे खतरनाक युद्ध हुए हैं। आपने राजा-महाराजाओं के बीच कई सारे खूनी जंग के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़ाई के बारे में बताने जा रहे हैं। जो सिर्फ एक तरबूज के लिए हुई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस लड़ाई में मात्र एक तरबूज के चक्कर में हजारों सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी थी। यह युद्ध ऐसा है, जो मात्र एक तरबूज के लिए लड़ा गया था। आज से करीब 330 साल पहले 1644 ईस्वी में यह अनोखा युद्ध लड़ा गया था।
मतीरे की राड़
इस अनोखे युद्ध को इतिहास में 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। दरअसल, तरबूज को राजस्थान में मतीरा कहा जाता है, वहीं लड़ाई को राड़ कहते हैं। इस कारण तरबूज के कारण हुए युद्ध को 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। बता दें कि एक तरबूज के लिए लड़ा गया यह युद्ध दो रियासतों के बीच हुआ था। बीकानेर रियासत के सीलवा गांव तथा नागौर रियासत के जाखणियां गांव के बीच यह युद्ध हुआ था।
राजस्थान के दो रियासतों के बीच लड़ाई
बता दें कि दोनों गांव की सीमाएं एक-दूसरे से सटी हुई थी। बीकानेर की रियासत में तरबूज का एक पेड़ था। वहीं नागौर रियासत में इस पेड़ का फल लगा था। यही फल दोनों रियासतों के बीच युद्ध की वजह बना। सीलवा गांव के लोग मानते थे कि पेड़ उनकी रियासत में लगा है तो फल पर उनका ही अधिकार है। जबकि नागौर रियासत के लोगों का मानना था कि फल उनकी रियासत में लगा है, इस कारण इस पर उनका अधिकार है। इसके बाद दोनों रियासतों के बीच खूनी जंग शुरू हो गई। इस युद्ध में दोनों ओर से कई सौ सैनिक मारे गए थे।
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आदित्य साहू author
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