अजब: इस गांव में कोई नहीं करता था अपनी बेटी की शादी, फिर कुंवारे लड़कों ने किया ऐसा काम!

Ajab Gajab Village: बिहार के कैमूर जिले के अधौरा उपखंड में बरवा कला गांव को कुंवारों के गांव के बारे में जाना जाता है। इस गांव में आजादी के इतने साल भी पर्याप्त सुविधाओं का अभाव था जिसकी वजह से ज्यादातर लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव में नहीं करना चाहते थे।

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कुंवारे लड़के (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)

मुख्य बातें
  • ये हैं देश के अजीबोगरीब गांव
  • एक गांव में दो देशों की सरहद
  • एक है कुंवारे लोगों का गांव

Ajab Gajab Village: क्या आपने कभी ऐसे गांव के बारे में सुना है जहां दिन में एक देश में होता है लंच और दूसरे देश में होता है आराम। जी, हां ये पढ़कर आप भी सोच में पड़े गए होंगे कि भला ऐसा कौन सा गांव होता है। हम आपको आज भारत के एक ऐसे अनूठे गांव के बारे में बता रहे हैं जहां एक घर दो देशों के बीच की सरहद पर आता है।

गांव में है दो देशों की सरहद

ये गावं लोंगवा नागांलैंड के मोन जिले में हैं, जो दोनों देशों के सरहद पर आता है। इस गांव के मुखिया का घर दो हिस्सों में विभाजित है। एक हिस्सा भारत में तो दूसरा म्यांमार में आता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश मानचित्रकारों द्वारा भारत के अपने शासन के आखिरी दिनों में इस सीमा का निर्माण किया गया था। साल 1970 -1971 के बीच में खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा गांव के प्रधान के घर को विभाजित करती हैं। मुखिया का परिवार म्यांमार में खाता है और भारत में सोता है।

जानें बिहार के कुंवारे गांव के बारे में

बिहार के कैमूर जिले के अधौरा उपखंड में बरवा कला गांव को कुंवारों के गांव के बारे में जाना जाता है। इस गांव में आजादी के इतने साल भी पर्याप्त सुविधाओं का अभाव था जिसकी वजह से ज्यादातर लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव में नहीं करना चाहते थे। 2017 से पहले तक इस गांव में पहुंचने तक के लिए 10 किमी का ट्रैक था। बाद में गांव वालों ने खुद छह किलोमीटर तक की सड़क बनाई थी, नतीजा ये हुआ कि जिस गांव में बिजली और पानी जैसी सुविधाएं नहीं था। वहां, जब शादी समारोह हुआ तो दुल्हन के स्वागत को जश्न मनाया गया।

इस गांव में नहीं है जूते पहनने की अनुमति

ये गांव कोडाइकनाल हिल स्टेशन के पास वेल्लागवी में स्थित है। इस गांव में 200 से 300 लोग रहते हैं। इस गांव में कई खासियत है जैसे गांव में घरों से ज्यादा मंदिर है। इसके अलावा इस गांव में निवासियों को ही नहीं, बाहरी लोगों को भी जूता पहनने की इजाजत नहीं है। अगर कोई व्यक्ति गांव में जूता पहनता है तो उसे सजा दी जाती है।

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आदित्य साहू author

देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले और हरिवंशराय बच्चन के शहर प्रयागराज में पैदा होने के बाद साल 2015 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारित...और देखें

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