Pankha Baba: कौन हैं हाथ से पंखा बंद कर देने वाले 'लड्डू मुत्‍या,' सोशल मीडिया पर क्‍यों कर रहे ट्रेंड

Who is Laddu Muthya: अगर रिपोर्ट्स पर यकीन किया जाए तो लड्डू मुत्या की मृत्यु 1993 में हुई थी। इसके बाद लोग ने उनके नाम पर बागलकोट में मंदिर बनवाए, जहां उन्हें एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में पूजा जाता था।

पंखा बाबा नाम से फेमस लड्डू  मुत्‍या।

पंखा बाबा नाम से फेमस लड्डू मुत्‍या।

Who is Laddu Muthya | Laddu Muthya History: इंस्टाग्राम पर इन दिनों आपने दिव्यांग बाबा का एक वीडियो देखा होगा। इस वीडियो में कुर्सी पर बैठे एक शख्‍स को लोग ऊपर उठाते हैं और वह अपने नंगे हाथों से सीलिंग फैन को बंद करते हुए दिखाई देते हैं। वायरल वीडियो में बैकग्राउंड में 'लड्डू मुत्‍या' गाना भी बजता सुनाई देता है। वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों ने न केवल इसे रीक्रिएट किया बल्कि लट्टू मुत्‍या गाने पर डांस भी किया। मगर क्‍या आपने सोचा है कि, आखिर इंस्टाग्राम रील्स में दिखने वाले ये बाबा कौन हैं?

वायरल वीडियो के बारे में

वायरल हो रहे इन पंखा बाबा को जानने से पहले बता दें कि, वीडियो में लोगों का एक समूह बाबा को उठाता है। जो कुर्सी पर बैठे हैं, जिससे वे छत के पंखे तक पहुंच जाते हैं। जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ता है, वे पंखे को कई बार छूते हैं और अंत में उसे रोक कर देते हैं। मान्‍यता है कि, ऐसा करके वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं जिन्होंने ऐसा करने में उनकी मदद की और उनके माथे पर धूल लगाई। जैसे ही भक्त उन्हें वापस जमीन पर ले जाते हैं, छत का पंखा फिर से तेज़ गति से घूमने लगता है। इस दौरान, बैकग्राउंड में उन्हें समर्पित एक गाना बिना रुके बजता रहता है।

कौन हैं लड्डू मुत्‍या

किंवदंतियों और मान्‍यताओं के मुताबिक, लड्डू मुत्या विकलांग थे। कथित तौर पर शादी से बचने के लिए वे अपने घर से भाग गए थे। वे ट्रक में कर्नाटक के बागलकोट आए थे। शहर में अगले 20 वर्षों तक, वे भिक्षा पर जीवित रहे और इस दौरान उन्‍होंने कठिनाइयों से भरा जीवन जीया। संघर्षों से इतर यह माना जाता था कि वे जहां भी जाते थे सुख-समृद्धि उनके पीछे-पीछे आती थी। अगर वह किसी के घर जाते तो उसे आर्थिक लाभ होता और अगर वह किसी दुकान पर रुकते तो उसका व्यवसाय फलता-फूलता। लगातार ऐसा होने पर लोगों को विश्वास हो गया कि उसके पास चमत्कारिक शक्तियां हैं और लोग उन्‍हें 'लड्डू मुत्‍या' कहने लगे। समय के साथ धीरे-धीरे उनके प्रभाव की कहानियां पूरे क्षेत्र में फैल गईं।

1993 में मृत्‍यु

अगर रिपोर्ट्स पर यकीन किया जाए तो लड्डू मुत्या की मृत्यु 1993 में हुई थी। इसके बाद लोग ने उनके नाम पर बागलकोट में मंदिर बनवाए, जहां उन्हें एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में पूजा जाता था। वायरल रील्स में दिख रहा व्यक्ति असल में लड्डू मुत्या नहीं है, बल्कि पंखा बाबा को समर्पित मंदिर का पुजारी है।
(डिस्‍क्‍लेमर: यह खबर वायरल दावों के साथ-साथ प्रचलित मान्‍यताओं और किंवदंतियों पर आधारित है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इस खबर से जुड़े किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है।)
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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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