मरे इंसान होने लगेंगे जिंदा? इस जगह पर लिक्विड नाइट्रोजन में रखे गए हैं 199 'मृत' लोग, दिखाएंगे भविष्य में राह

लिक्विड नाइट्रोजन से भरे टैंकों के अंदर 199 मनुष्यों को रखा गया है। ये लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। इन बीमारियों का आज की तारीख में कोई इलाज नहीं है। दावा है कि अगर भविष्य में इन बीमारियों का कोई इलाज मिलता है तो इन्हें वापस से जिंदा किया जा सकता है।

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लिक्विड नाइट्रोजन में रखे गए हैं 199 'मृत' लोग

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

आज की तारीख में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है, लेकिन आज भी उसके पास कुछ सवालों, बीमारियों के जवाब नहीं हैं। कैंसर समेत कई ऐसी घातक बीमारियां हैं, जिसमें लगभग इंसान की मौत हो जाती है। मेडिकल साइंस में इसका इलाज नहीं है। हालांकि अब वैज्ञानिकों ने इससे लोगों को बचाने के एक अलग ही रास्ता निकाला है।

रॉयटर्स के अनुसार अमेरिका के एरिजोना में एक ऐसा सिस्टम विकसित किया गया है, जहां 199 लोगों को लिक्विड नाइट्रोजन से भरे टैंकों में रखा गया है। इन लोगों को गंभीर बीमारियां हैं। जिसका कोई इलाज है। ये एक तरह से मरे माने जा चुके हैं। इन्हें यहां इसलिए रखा गया है ताकि भविष्य में अगर इन बीमारियों का इलाज मिलता है, तो उन्हें टैंक से बाहर निकाल कर ठीक किया जा सके। दावा है कि इस टैंक में वो उसी अवस्था में रहेंगे, जिस अवस्था में उन्हें रखा गया था।

इस 199 लोगों में शामिल सबसे छोटी उम्र की एक 9 साल की लड़की है। इसे ब्रेन कैंसर था। माता-पिता दोनों डॉक्टर थे, कई सर्जरी हुई लेकिन ये ठीक नहीं हुई। जिसके बाद माता-पिता ने उम्मीद के सहारे इस मासूम को अलकोर फाउंडेशन के प्रोजेक्ट में शामिल कर दिया। अलकोर फाउंडेशन ही लिक्विड नाइट्रोजन वाले सिस्टम का जन्मदाता है। एल्कोर के मुख्य कार्यकारी मैक्स मोर ने कहा- "उसके माता-पिता दोनों डॉक्टर थे और उसकी कई मस्तिष्क सर्जरी हुई थीं और दुर्भाग्य से कुछ भी काम नहीं किया। इसलिए उन्होंने हमसे संपर्क किया।"

किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित किए जाने के बाद क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया शुरू होती है। रोगी के शरीर से रक्त और अन्य तरल पदार्थ निकाल दिए जाते हैं और हानिकारक बर्फ क्रिस्टल के गठन को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए रसायनों के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है।

ये लिक्विड नाइट्रोजन वाला फर्मूला तभी सफल माना जाएगा, जब इनमें से किसी एक को भविष्य में निकाल कर उनका सफल इलाज होगा। अगर वो वापस जिंदा और स्वस्थ हो गए तो यह प्रयोग किसी चमत्कार से कम नहीं होगा और हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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