कुछ ऐसी है गुजरात के नसवाडी तहसील में आए कडूली- महूडी गांव के आदिवासी किसान की कहानी

गुजरात के नसवाडी तहसील में आए कडूली- महूडी गांव के आदिवासी किसान काफी प्रेरणादायक है। उनकी कहानी ये बताती है की लोग जिंदा रहने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जब गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला और एक एक बूंद के लिए सब तरसने लगे तब छोटे से गांव के खुशाल भाई ने पत्थर तोड़ पानी निकालने का पुरुषार्थ शुरू किया।

"जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं" मांझी द माउंटेन मैन का यह मशहूर डायलॉग गुजरात के आदिवासी किसान पर बिल्कुल सटीक बैठता है,,, गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के नसवाडी तहसील में आए छोटे से कडूली- महूडी गांव मैं खुशाल भाई नानजी भाई हिम्मत और लगन सबके लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

जब गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला और एक एक बूंद के लिए सब तरसने लगे तब छोटे से गांव के खुशाल भाई ने पत्थर तोड़ पानी निकालने का पुरुषार्थ शुरू किया। खुशाल भाई यहां अपने छोटे से परिवार के साथ अपना जीवन गुजार रहे हैं गांव पथरीला होने के कारण पानी की बहुत तकलीफ है यहां रहती हैं और ऊपर से उनकी आमदनी इतनी नहीं कि वे पानी खरीद सकें।

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