Oct 27, 2024
साल 2010-11 का समय ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सुनहरा था। दर्जनों ई-कॉमर्स कंपनियां बाजार में आने को बेताब थीं।
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विदेशी निवेशक भी जमकर फंडिंग कर रहे थे। फ्लिपकार्ट लगातार बाजार में पकड़ बना रही थी। अमेजॉन की भी भारत में दस्तक की खबरें थीं।
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इस बीच 'बेन एंड कंपनी' में काम रहे साहिल बरूआ और मोहित टंडन ने भी ई-कॉमर्स के बाजार में दाखिल होने के बारे में सोचा।
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लेकिन उन्हें लगा कि शायद अब देर हो गई है। इसलिए उन्होंने ध्यान ई-कॉमर्स के बजाय लॉजिस्टिक सर्विस पर लगाया। मई 2011 में दिल्ली के एक अपार्टमेंट में 'डेल्हीवरी' DHL की स्थापना हुई।
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लॉजिस्टिक यानी सामान की डिलीवरी, वेयरहाउसिंग, सप्लाई चेन से जुड़ी सेवाएं व सुविधाएं। इसमें यह ई-कॉमर्स की पार्सल डिलीवरी के साथ, ट्रकलोड से माल ढुलाई, वेयरहाउस की सुविधा आदि देती है।
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2011 में शुरू हुई डेल्हीवरी आज देश की सबसे बड़ी 'इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक सर्विस प्रोवाइडर' है। आज इनके शिपमेंट में इसकी बाजार हिस्सेदारी 21.5% (2023 के अनुसार) है।
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डेल्हीवरी देश की सबसे बड़ी थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक कंपनी है। यानी अन्य कंपनियों के पार्सल डिलीवर करने में यह आगे है। इसका मार्केट कैप 26,765 करोड़ रुपये है।
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इसके साथ 57 हजार लोग जुड़े हैं। यह फेडएक्स के साथ मिलकर 220 से ज्यादा देशों में डिलीवरी करती है।
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