Jul 24, 2023
ओपेनहाइमर मूवी से एक बार फिर न्यूक्लियर बमा या एटम बम सुर्खियों में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अरबों रुपये खर्च कर एटम बम कैसे बनाए गए। और उसकी लागत क्या होती है।
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अमेरिका की 1998 में आई ऑडिट रिपोर्ट में एटम बम की लागत पहली बार सामने आई। B61-7, B61-11, B83 जैसे एक एटम बम बनाने में 40 करोड़ रुपये खर्च आया था। यह रेट 1996 के आधार पर है।
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रुस ने अब तक का सबसे बड़ा एटम बम Tsar Bomba बनाया था। हालांकि एक एटम बम का पूरा सिस्टम तैयार करने में उसके लांचर की बेहद अहम भूमिका होती है।
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B-52H Stratofortress bomber जैसा एक सिस्टम बनाने में 2800 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया था।
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अमेरिकी नेशनल आर्काइव के अनुसार साल 1945 में हिरोशिमा पर 15000 टन एक्सप्लोसिव वाला एटम बम गिराया गया था। जिसे लिटिल ब्वॉय कहा गया।
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पनडुब्बी से हमले के लिए जो एटम बम तैयार किए जाते हैं, वह सबसे महंगे होते हैं। Ohio-class Trident submarine जैसे एक एटम बम बनाने में करीब 32 हजार करोड़ (4 अरब डॉलर) रुपये खर्च हो गए ।
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साल 2022 में न्यूक्लीयर संपन्न देशों ने बम बनाने की तैयारी आदि में हर मिनट 1.57 लाख डॉलर यानी हर घंटे 72 करोड़ का खर्च किया।
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इस समय कई देशों में न्यूक्लीयर ताकत बनने की होड़ मची हुई है। नॉर्थ कोरिया, ईरान इस दिशा में काम कर रहे हैं। इसके अलावा भारत, अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, पाकिस्तान पहले से ही न्यूक्लीयर बम बना चुके हैं।
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जापान इकलौता देश है जिसने न्यूक्लीयर बम के हमले की त्रासदी झेली है। और उसकी याद में आज वहां एक म्यूजियम है।
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