Apr 21, 2025
ताजमहल का निर्माण 1632 से 1653 के बीच हुआ था और इसकी लागत उस समय लगभग 3.2 करोड़ रुपये (32 मिलियन रुपये) आंकी गई थी।
Credit: istock/Meta AI
महंगाई, सामग्री, मजदूरी और कारीगरों की लागत को ध्यान में रखते हुए, आज ताजमहल जैसा स्मारक बनाने में 3000 से 4000 करोड़ रुपये या उससे भी अधिक खर्च हो सकते हैं।
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ताजमहल में इस्तेमाल हुआ सफेद संगमरमर मकराना (राजस्थान) से लाया गया था। आज इसकी कीमत 100 से 300 रुपये प्रति वर्ग फुट है। इतनी भारी मात्रा में उच्च गुणवत्ता का संगमरमर खरीदना और तराशना बेहद महंगा होगा।
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ताजमहल की जड़ाई का काम (पिएत्रा ड्यूरा) करने वाले कारीगर अब दुर्लभ हैं। आज उस स्तर की शिल्पकला के लिए विदेशी विशेषज्ञों को भी लाना पड़ सकता है, जिससे लागत कई गुना बढ़ जाएगी।
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ताजमहल में प्रयुक्त जड़ाऊ पत्थर – जैसे नीलम, पन्ना, मूंगा, फ़िरोज़ा आदि – अब बेहद महंगे हो चुके हैं। इन पत्थरों की वर्तमान कीमत करोड़ों में जा सकती है।
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उस समय करीब 20,000 कारीगरों ने काम किया था। आज अगर इतने कारीगर और विशेषज्ञ लगाए जाएं, तो मजदूरी पर ही सैकड़ों करोड़ खर्च हो सकते हैं।
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ताजमहल की वास्तुकला बेहद जटिल और संतुलित है। आज उस स्तर की इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चरल प्लानिंग के लिए अत्याधुनिक तकनीक और बड़ी टीम की जरूरत होगी।
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आगरा जैसी जगह में इतनी बड़ी जमीन का अधिग्रहण आज सैकड़ों करोड़ में होगा। साथ ही सुरक्षा, संरक्षण और पर्यावरणीय मंज़ूरी पर भी बड़ा खर्च आएगा।
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ताजमहल को बनाने में 22 साल लगे थे। आज भी इतने बड़े प्रोजेक्ट में वर्षों लग सकते हैं, जिससे कुल लागत में समय के साथ और वृद्धि होगी।
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ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि प्रेम, कला और संस्कृति का प्रतीक है। इसका ऐतिहासिक और भावनात्मक मूल्य अनमोल है, जो किसी भी कीमत से परे है।
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