Apr 02, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ (शुल्क) बढ़ा दिया, इसका असर वैश्विक व्यापार और मुद्रा बाजारों पर भी पड़ा।
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टैरिफ बढ़ाने से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट आई, क्योंकि निवेशकों ने डॉलर को सुरक्षित निवेश माना।
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डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हुआ, जिससे आयात महंगे हो गए और महंगाई में बढ़ोतरी हुई
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अमेरिकी टैरिफ युद्ध और व्यापार नीतियों के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसा निकाल लिया, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा।
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रुपये की गिरावट से भारतीय निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि भारतीय उत्पादों की कीमत विदेशों में सस्ती हो गई।
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रुपये की कमजोरी से आयातित वस्तुओं जैसे कच्चे तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे महंगाई बढ़ी।
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डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और टैरिफ युद्ध के प्रभाव से सोने की कीमतों में भी उछाल देखा गया, क्योंकि लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर मुड़े।
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विकसित देशों की मुद्रा (जैसे डॉलर) की मजबूती के मुकाबले विकासशील देशों की मुद्रा (जैसे रुपया) कमजोर पड़ी।
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भारतीय सरकार ने रुपये की गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया। एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भारत के 85 रुपये 62 पैसा है। इसमें लगातार उतार चढ़ाव होता रहता है।
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डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी का असर तुरंत दिखाई दे रहा है, लेकिन व्यापारिक स्थितियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा से भविष्य में बदलाव संभव है।
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