Aug 23, 2023
ISRO के बजट को लेकर आपने आदिपुरूष, हॉलीवुड मूवी के बजट से तुलना करने वाले कई आर्टिकल पढ़े होंगे कि जिसमें कहा गया कि ये बहुत कम बजट है।
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अभी अमेरिका NASA टेक्नोलॉजी, उपलब्धियों और विश्वास के मामले में दुनिया की नंबर वन अंतरिक्ष एजेंसी है, लेकिन आने वाले समय में इसरो नासा को हरा सकता है। यह कैसे होगा उदाहरण से समझते हैं।
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नासा का औसत सालाना बजट 24 बिलियन डॉलर (1.97 लाख करोड़) है। वहीं इसरो का सिर्फ 13 हजार करोड़ है। यानि नासा को इसरो की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक पैसा मिलता है।
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जहां नासा के पहले सफल मंगल ऑर्बिटर, मेरिनर 9 का बजट 137 मिलियन (1029 करोड़ रुपये) है, वहीं इसरो का मंगलयान मिशन पहले ही प्रयास में केवल 450 करोड़ के बजट के साथ सफल हुआ था।
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आदिपुरुष, पोन्नियिन सेलवन, रोबोट 2.0 और आरआरआर जैसी बॉलीवुड फिल्मों का बजट 500 करोड़ से अधिक था, और इसरो ने 500 करोड़ से कम में 54.6 मिलियन किलोमीटर दूर एक रोवर भेजा।
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नासा के पास 18 हजार से अधिक कर्मचारियों का कार्यबल है, और इसरो के पास करीब 17 हजार कर्मचारी हैं, इसलिए 1 हजार से अधिक कर्मचारियों का अंतर है, जो इसरो को और अधिक कुशल बनाता है।
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नासा के लूनर ऑर्बिटर, लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Lro) मिशन की कुल लागत 4,331 रुपये थी वहीं इसरो के चंद्रयान-1 मिशन का बजट 386 करोड़ था, जो NASA के LRO से काफी कम है।
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इस तरह इसरो एजेंसी भले बजट में कम हो लेकिन अधिक कुशलता, किफायती, रिसोर्सफुल जैसी तीन चीजें इसे सबसे अलग बनाती हैं। जो अमेरिका की नासा के पास नहीं है।
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