Jan 23, 2025
क्रीम-साबुन और कॉस्मेटिक आइटम बनाने में गधी के दूध का इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी मेडिकल और औषधीय गुणों की वजह से इसे एक मूल्यवान प्रोडक्ट माना जाता है।
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गधी के दूध को स्वादिष्ट बताया गया है और इसके औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए इसे फूड आइटम के रूप में भी शामिल करने की चर्चा हो रही है।
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देश में गधों की संख्या लगातार घट रही है। विशेष रूप से उन्नत नस्ल के गधे, जैसे कि मालधारी गधे, काफी कम हो गए हैं।
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गधों की संख्या बढ़ाने और नस्ल सुधार के लिए केन्द्र सरकार ने योजना शुरू की है। इसमें गधे पालन करने वालों को 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।
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2015 में शुरू की गई नेशनल लाइव स्टॉक मिशन (NLM) योजना के तहत गधों के ब्रीडिंग सेंटर, नस्ल सुधार और पालन पर जोर दिया जा रहा है। योजना में सरकार लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा सब्सिडी के रूप में देती है।
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नेशनल लाइव स्टॉक मिशन योजना के तहत गधों के पालन और नस्ल सुधार के लिए 25 से 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है।
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2019 में हुए पशुगणना के मुताबिक भा���त में गधों की कुल संख्या 1.23 लाख है। यह संख्या पहले की तुलना में काफी कम है।
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गधों की सबसे ज्यादा संख्या जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
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देश के कुछ राज्यों में गधों की संख्या बेहद कम हो गई है, जिनमें कुछ राज्य ऐसे हैं जहां गधों की संख्या सिर्फ 2 से 10 के बीच है।
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गधों की संख्या में कमी को देखते हुए, सरकार गधों के संरक्षण और नस्ल सुधार के लिए योजनाओं की शुरुआत कर रही है, ताकि इनकी संख्या बढ़ाई जा सके और उनका संरक्षण किया जा सके।
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