Ramanuj Singh
Dec 31, 2024
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम से एक ऐसी सुविधा विकसित करने को कहा है जिससे RTGS और NEFT का उपयोग करने वाले ग्राहकों को उस बैंक खाते के नाम को वेरिफाई करने की अनुमति मिल सके जिसमें पैसा भेजा जा रहा है।
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RBI ने एक सर्कुलर में कहा कि ‘रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट’ (RTGS) यानी वास्तविक समय पर भुगतान से जुड़ी सिस्टम और ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कोष अंतरण’ (NEFT) सिस्टम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े सभी बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे एक अप्रैल 2025 से पहले यह सुविधा प्रदान करें। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आएगी।
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वर्तमान में, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) व्यवस्था के तहत पैसा भेजने वालों को प्रक्रिया शुरू करने से पहले लाभार्थी के नाम को वेरिफाई करने की सुविधा है।
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आरबीआई ने एक ऐसी ही सुविधा स्थापित करने का निर्णय लिया है। इससे RTGS या NEFT सिस्टम का उपयोग करके लेनदेन शुरू करने से पहले पैसा भेजने वाले को लाभार्थी के बैंक खाते के नाम को सत्यापित करने की सुविधा मिलेगी।
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आरबीआई ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को यह सुविधा विकसित करने और सभी बैंकों को इसमें शामिल करने की सलाह दी है। इसमें कहा गया है कि जो बैंक RTGS और NEFT सिस्टम के भागीदार हैं, वे अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे। यह सुविधा लेनदेन करने के लिए बैंक शाखाओं में आने वाले व्यक्तियों के लिए भी उपलब्ध होगी।
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आरबीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि इस पहल का मकसद RTGS और NEFT सिस्टम का उपयोग कर पैसा भेजने वालों के लिए गड़बड़ी और धोखाधड़ी पर लगाम लगाना है। इस व्यवस्था के तहत पैसे भेजने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उस बैंक खाते का नाम वेरिफाई करने की सुविधा मिलेगी, जिसमें पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है। इससे गलतियों और धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी।
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इस सुविधा के जरिये पैसा भेजने वालों की तरफ से दर्ज लाभार्थी की अकाउंट संख्या और IFSC के आधार पर बैंक के ‘कोर बैंकिंग सॉल्यूशन’ (CBS) से लाभार्थी के खाते का नाम प्राप्त किया जाएगा।
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इसमें कहा गया है कि लाभार्थी बैंक के जरिये प्रदान किया गया लाभार्थी खाता नाम प्रेषक यानी पैसा भेजने वाले को दिखाया जाएगा। अगर किसी कारण से लाभार्थी का नाम प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है, तो प्रेषक या भेजने वाले अपने विवेक से पैसा भेजने को लेकर कदम उठा सकता है।
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आरबीआई ने कहा कि NPCI इस सुविधा से संबंधित कोई भी आंकड़ा नहीं रखेगा। विवाद की स्थिति में, पैसा भेजने वाला बैंक और लाभार्थी बैंक ‘लुकअप’ संदर्भ संख्या और संबंधित ‘लॉग’ के आधार पर मामले का समाधान करेंगे। ग्राहकों को बिना किसी चार्ज के लाभार्थी अकाउंट नाम देखने की सुविधा के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा।
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