Sep 2, 2023

खूब खाया होगा Parle G, लेकिन नहीं जानतें होंगे असली नाम

Ashish Kushwaha

पाक में Parle-G की गजब दीवानगी, 10 गुना ज्यादा कीमत में खरीदने को तैयार पाकिस्तानी.

Credit: ParleG

​​स्वतंत्र भारत का एक स्वदेशी बिस्किट​

1929 में शुरू हुई कंपनी पारले ने भारत को अपना सबसे पसंदीदा बिस्किट पारले-जी दिया। ​

Credit: ParleG

Who Gave Rajinikanth 100 cr Cheque

​इसकी शुरुआत कैसे हुई​

पारले (परिवार के सदस्यों के बीच कारोबार के बंटवारे के बाद अब पारले प्रोडक्ट्स) ने 1938 में पारले ग्लूको नाम से अपना पहला बिस्किट बनाया।

Credit: ParleG

​पार्ले ग्लूको से लेकर पार्ले-जी तक​

अस्सी के दशक की शुरुआत में पार्ले ग्लूको का नाम बदलकर पार्ले-जी कर दिया गया। क्योंकि बहुत सारे ग्लूकोज बिस्कुट में पारले खुद को उस पैकेट से अलग करना चाहता था।

Credit: ParleG

​मोहनलाल दयाल ने की थी शुरुआत​

मोहनलाल दयाल ने 1928 में हाउस ऑफ पारले की स्थापना की। पहली फैक्ट्री 1929 में स्थापित की गई थी, जिसमें सिर्फ 12 लोग कन्फेक्शनरी बनाते थे।

Credit: ParleG

​ब्रिटिश शासन में बिस्कुट होता था महंगा​

ब्रिटिश शासन के दौरान बिस्कुट एक महंगा, खास खाने की चीज हुआ करती थी। जैसे-जैसे भारत स्वतंत्र हुआ, लोगों में पारले का कम कीमत वाला संस्करण लोकप्रिय होने लगा।

Credit: ParleG

​देश का अपना बिस्किट​

आगे चलकर, पारले जी को 'देश का अपना बिस्किट' के नाम से जाना जाने लगा। पारले-जी बाजार में सबसे आसानी से उपलब्ध उत्पादों में से एक बन गया।

Credit: ParleG

​हर क्षेत्र में मिल जाता था ये बिस्कुट​

भारत के सुदूर क्षेत्रों तक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत चैनल का निर्माण पारले के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है।

Credit: ParleG

Thanks For Reading!

Next: कभी ₹300 थी सैलरी, अब 538 करोड़ के बैंक घोटाले में गिरफ्तार; कौन हैं नरेश गोयल