इस वजह से टाटा का नाम पड़ा TATA, वरना हर जगह चलता 'दस्तूर'

Kashid Hussain

Nov 19, 2024

टाटा ग्रुप

टाटा ग्रुप की गिनती दुनिया के बड़े बिजनेस ग्रुप्स में होती है। मगर इस परिवार का असली सरनेम टाटा नहीं कुछ और था

Credit: Tata-Central-Archives/X

टाटा परिवार का फाउंडर

नुसरवानजी टाटा को टाटा परिवार का फाउंडर माना जाता है, जो एक पारसी पुजारी थे। उन्हें ‘दस्तूर’ कहा जाता था

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पारसी समुदाय

दस्तूर शब्द पारसी समुदाय के धार्मिक प्रमुखों के लिए यूज होता है। बताते चलें कि टाटा ग्रुप की शुरुआत नुसरवानजी के बेटे जमशेदजी टाटा ने की थी

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नुसरवानजी का योगदान

मगर नुसरवानजी के योगदान ने भारत में टाटा परिवार के प्रभाव और विरासत (खासकर इंडस्ट्री और परोपकार क्षेत्र में) के लिए आधार तैयार किया

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21000 रु लेकर बिजनेस शुरू

जमशेदजी अपने पिता से 21000 रु लेकर बिजनेस शुरू करने मुंबई चले गए। उनका मकसद पिता से भी बड़ा बिजनेस खड़ा करना था

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टाटा ग्रुप की नींव रखी

इस महत्वाकांक्षा के साथ उन्होंने टाटा ग्रुप की नींव रखी। हालांकि जमशेदजी टाटा के पिता अपने एग्रेसिव स्वभाव के लिए जाने जाते थे

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टाटा के नाम से पुकारने लगे

गुजराती भाषा में ऐसे स्वभाव वाले लोगों को "टाटा" कहा जाता है। इसलिए लोग उन्हें टाटा के नाम से पुकारने लगे और यही नाम परिवार का सरनेम बन गया

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टाटा सरनेम से फेमस

आज परिवार को दुनिया भर में उनके मूल नाम दस्तूर के बजाय टाटा सरनेम से जाना जाता है

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