Jan 4, 2025
BY: Ramanuj Singhखान मार्केट को दिल्ली का सबसे महंगा बाजार माना जाता है और इसे "दिल्ली का दिल" भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रमुख स्थलों जैसे राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के पास स्थित है।
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खान मार्केट लुटियन्स दिल्ली में स्थित है, जहां अधिकारी और संपन्न लोग रहते हैं, जिससे इसे इस क्षेत्र का प्रमुख बाजार माना जाता है।
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पांच साल पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "खान मार्केट गैंग" शब्द का इस्तेमाल किया था, जिससे बाजार की चर्चा बढ़ी और अधिक फेमस हो गया।
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खान मार्केट की स्थापना 1951 में हुई थी, ताकि विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों के लिए आवास और बाजार की सुविधा प्रदान की जा सके।
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खान मार्केट नाम अब्दुल जब्बार खान के नाम पर रखा गया था, जो स्वतंत्रता सेनानी और अब्दुल ग़फ्फार खान के भाई थे। उन्होंने विभाजन के दौरान हिंदुओं की सुरक्षित वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाजार में सैकड़ों दुकानें अभी भी सरकारी नियंत्रण में हैं। कुछ दुकानों का प्रबंधन नगर निगम भी करता है। इस समय, खान मार्केट की अधिकांश दुकानें पट्टे पर हैं। मतलब इसका असली मालिक अभी भी सरकार ही है।
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खान मार्केट की शुरुआत तीन मकानों से हुई थी, लेकिन समय के साथ इसे कई दुकानों और रेस्टोरेंट से भरा गया, जिससे यह एक व्यस्त और बड़ा बाजार बन गया।
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पहले खान मार्केट में दुकानों का किराया महज 50 रुपये प्रति महीने था, जिससे यह एक सस्ता बाजार था।
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1956 में पुनर्वास मंत्रालय पहल के तहत दुकानों को 6,516 रुपये में आवंटित किया गया।
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आजकल, खान मार्केट में व्यावसायिक किराया प्रति वर्ग फुट 1800 से 2200 रुपये तक है और महीने का किराया 6 लाख रुपये से अधिक हो सकता है।
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मोदी सरकार के मंत्री राजनाथ सिंह ने खान मार्केट का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन स्थानीय दुकानदारों ने इसका विरोध किया, और बाजार का नाम यथावत बना रहा।
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