Jan 2, 2025
गौतम अडानी ने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। यह प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है।
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कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसे आनंद आता है, जबकि कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताकर संतुष्ट होता है। यह उसका व्यक्तिगत बैलेंस है।
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इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी। अडानी का संदेश था कि वर्क-लाइफ बैलेंस व्यक्तिगत होना चाहिए और इसे किसी पर भी थोपना नहीं चाहिए।
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अडानी का मानना है कि असल संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद हो। इससे जीवन में संतुष्टि और संतुलन आता है।
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अडानी ने यह भी कहा कि जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि जीवन में किसी भी समय कुछ भी हो सकता है, तो जीवन सरल हो जाता है।
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अडानी ने यह भी कहा कि जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि जीवन में किसी भी समय कुछ भी हो सकता है, तो जीवन सरल हो जाता है।
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यह बयान इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति द्वारा दिए गए 70 घंटे काम करने के विचार के बीच आया था, जो हाल ही में चर्चा में था।
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इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने कहा था कि उन्होंने अपनी कंपनी में 70 घंटे काम करने की संस्कृति को बढ़ावा दिया ताकि वे वैश्विक मानकों से मेल खा सकें।
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मूर्ति का यह भी मानना था कि भारतीयों को अपनी आकांक्षाओं को ऊंचा रखना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए, क्योंकि भारत में अभी भी करोड़ों लोग गरीबी में हैं।
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