Jul 29, 2023
By: Alok RaoCredit: BCCL
हालांकि, आजादी तो 1947 में मिल गई लेकिन अंग्रेजों की योजना भारत को 1948 में आजाद करने की थी।
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लेकिन फरवरी 1947 में लार्ड माउंटबेंटेन जब भारत का वायसराय बनकर आए तो इस योजना में बदलाव हुआ।
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मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना के बार-बार कहने एवं आकार लेते नए राजनीतिक हालात को देखते हुए आजादी की घोषणा एक साल पहले करने पर वह तैयार हुए।
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तीन जून को देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियों के साथ माउंटबेटेन की एक ऐतिहासिक बैठक हुई और इस बैठक में भारत को एक साल पहले आजाद करने का फैसला हुआ।
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माउंटबेटेन 15 अगस्त की तारीख को अपने लिए शुभ मानते थे क्योंकि दो साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसी दिन जापानियों ने उनके सामने सरेंडर किया था।
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14 एवं 15 अगस्त की दरम्यानी रात कॉन्स्टीट्यूशन हॉल में संविधान सभा की पांचवीं बैठक हुई। इस बैठक में भारत की आजादी की आधिकारिक घोषणा हुई।
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आजादी के बाद सार्वजनिक रूप से पहली बार तिरंगा लाल किले पर नहीं बल्कि इंडिया गेट के पास प्रिंसेज पार्क में फहराया गया। इस समारोह को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग आए थे।
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तिरंगा फहराए जाने के बाद बारिश हुई और आसमान में इंद्रधनुष बना। इसे एक शुभ संकेत माना गया। लाल किले पर पंडित नेहरू ने तिरंगा आजादी के अगले दिन 16 अगस्त को फहराया।
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