Oct 21, 2023
देशभर में दशहरे का पर्व एक दिन मनाया जाता है, लेकिन देश में एक ऐसी भी जगह है जहां दशहरे का उत्सव पूरे सात दिन तक चलता है।
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देशभर में जब दशहरा का त्योहार समाप्त होता है, उस वक्त इस जगह का दशहरा शुरू होकर पूरे 7 दिनों तक चलता है।
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यहां का दशहरा बेहद अनोखा है, यहां न तो रावण का पुतला दहन किया जाता है, न ही रावण की कहानियां सुनाई जाती हैं।
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यहां के दशहरे को लेकर मान्यता है कि इस उत्सव में शामिल होने के लिए खुद देवी-देवता उतरकर धरती पर आते है।
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यहां के दशहरे में भगवान रघुनाथ जी की विशाल रथ-यात्रा निकाली जाती है। जिसे सभी लोग पूरी भक्ति भावना के साथ खींचते हैं।
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ये जगह हिमाचल के पहाड़ों में बसा कुल्लू शहर है, कुल्लू में पहली बार दशहरा का उत्सव 1662 में मनाया गया था।
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यहां के दशहरे को लेकर एक कहानी प्रचलित है कि कुल्लू के राजा जगत सिंह बीमार पड़ने के बाद ठीक नहीं हो रहे थे, जिसके बाद एक बाबा पयहारी के कहने पर अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति को लाकर कुल्लू में स्थापित किया गया था।
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मान्यता के अनुसार रघुनाथ जी को कुल्लू में स्थापित करते समय सभी देवी-देवता भी आमंत्रित किए गए थे। जिन्होंने रघुनाथ जी को सबसे बड़ा देवता मान लिया।
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कुल्लू में तभी से देवताओं के मिलन के प्रतीक के रूप में यहां दशहरा मनाने की शुरुआत हुई और आज भी पुरानी परंपरा के अनुसार ही यहां दशहरा मनाया जाता है।
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