Mar 19, 2024
लखनऊ यूनिवर्सिटी और भारत लैब ने घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 से मिले रिजल्ट की रिपोर्ट जारी की है।
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रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में ग्रामीण और शहरी भारत में उपभोग की आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं।
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ग्रामीण इलाकों में अनाज की खपत में 78 फीसद की गिरावट, फलों और पैकेज्ड फूड और ड्रिंक्स पर खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
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पिछले दो दशकों में एजुकेशन खर्च में लगभग 70 फीसद की वृद्धि देखने को मिली है, जो हायर स्टडी की तरफ ध्यान केंद्रित करता है।
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साल 1999-2000 में भारत के मंथली फूड एक्सपेंडिचर में ताजे फलों का हिस्सा सिर्फ 1.42 फीसद था, जो 2022-23 में बढ़कर 2.54 प्रतिशत हो गया।
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1999-2000 में सूखे मेवों पर 0.3 प्रतिशत खर्च होता था, जिसमें 2022-23 में 1.17 प्रतिशत तक की बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
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साल 1999-2000 और 2022-23 के बीच ईंधन और बिजली पर मासिक खर्च 7.52 प्रतिशत से घटकर 6.66 प्रतिशत हो गया है।
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उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च 170 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया है, जो 1999-200 में मासिक व्यय का 2.62 फीसद से 2022-23 में 6.89 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
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पिछले दो दशकों में रेस्टोरेंट और मनोरंजन जैसी उपभोक्ता सेवाओं पर खर्च 2.98 फीसद से बढ़कर 5.08 प्रतिशत हो गया है।
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यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मंथली पर कैपिटा एक्सपेंडिचर 3191 और शहरी क्षेत्रों में 5040 है।
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देश के ग्रामीण इलाकों में मंथली पर कैपिटा एक्सपेंडिचर 3773 है, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 6459 है।
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