Oct 24, 2023
देश में एक शहर ऐसा भी है जहां पर 75 दिनों तक दशहरे का उत्सव मनाया जाता है और यहां पर रावण का दहन भी नहीं होता है।
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यह शहर छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला है, जहां पर सबसे लंबे समय तक दशहरा मनाया जाता है, यहां का दशहरा उत्सव दुनियाभर में बहुत फेमस है।
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इस शहर का दशहरा राम और रावण से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यहां का दशहरा दुर्गा मां द्वारा महिषासुर के वध से जुड़ा हुआ है।
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इस शहर में दशहरे तक हर दिन फूल रथ चलाया जाता है और दशहरे वाले दिन दंतेश्वरी मंदिर से कुम्हड़ाकोट तक विजय रथ परिक्रमा होती है।
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बस्तर में रथ यात्रा की शुरुआत चालुक्य वंश के चौथे राजा पुरुषोत्तम देव ने की थी। उन्हें जगन्नाथपुरी के राजा ने 16 चक्कों का रथ उपहार में दिया था।
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राजा पुरुषोत्तम देव ने इस रथ को विभाजित करके इसके चार चक्कों को भगवान जगन्नाथ को भेंट कर दिया, जिससे बाद में फूल रथ और विजय रथ बनवाया गया। विजय रथ में 8 पहिए और फूल रथ में चार पहिए होते है।
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रथ को बनाने का काम 600 साल पहले शुरु हुआ था और अब तक चला आ रहा है। रथ को बेड़ाउमरगांव और झारउमरगांव के लोग बनाते है जिसमें 150 लोग शामिल होते है, जिसे लोग मां दंतेश्वरी की सेवा समझकर करते हैं।
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गांव के लोग एक महीने तक सभी काम को छोड़कर सिर्फ रथ बनाते है, इस परंपरा को सभी गांव वालों को मानना जरूरी है वरना उन्हें जुर्माने में 500 रुपये देने होंगे।
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बस्तर में इस बार दशहरा 107 दिनों तक मनाया जा रहा है। जिसकी शुरुआत 17 जुलाई से पाठ जात्रा रस्म के साथ शरू हो गई थी। यहां 31 अक्टूबर को दशहरा समाप्त होगा।
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