Oct 6, 2023
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के राजघाट के अलावा भी बापू की कहीं और भी समाधि स्थल है।
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तो चलिए हम आपको उस शहर ले चलते हैं जहां पूज्य महात्मा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के राजघाट के अलावा यहां भी अस्थियां दफन की गईं।
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30 January 1948 को बिरला हाउस में नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। उसके बाद पूरे देश की सांसें थम गईं।
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बापू का पार्थिव शरीर राजघाट लाया गया और यहीं उनका अंतिम संस्कार यमुना नदी किनारे किया गया। देश की पहली सबसे बड़ी शवयात्रा थी जिसमें दस लाख लोग चल साथ रहे थे।
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इसी दौरान यूपी के रामपुर रियासत के तत्कालीन नवाब रजा अली खां ने भी महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार की इच्छा जताई। बाद में रजा अली खां उनकी अस्थियां एक अष्टधातु के कलश में रखकर रामपुर लाए थे।
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रजा अली खां ने सम्मान के मरकजी चौराहे पर गांधी समाधि का निर्माण कराया और वहीं अस्थि कलश को दफन कराया। तब से इस स्थान को रामपुर का राजघाट कहा जाने लगा।
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कहते हैं नवाब रजा अली खां ने गांधी की हत्या की खबर सुनकर रामपुर रियासत में 13 दिन के सरकारी मातम का ऐलान और शोक चिह्न लगाने का हुक्म किया था।
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इतिहास कहते हैं कि 2 फरवरी को महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार के दिन जुबली पार्क (गांधी पार्क) और कोसी नदी पर शोक सभाओं का आयोजन हुआ था।
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उसी दिन शाम साढ़े चार बजे जमुनाघाट पर बापू की चिता को मुखाग्नि देने के दौरान रामपुर के किले से 23 मातमी तोपें छोड़ी गईं थी।
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