Sep 6, 2023
केरल के गुरुवयूर में स्थित ये श्री कृष्ण ये मंदिर मान्यताओं के मुताबिक, लगभग 5000 साल पुराना है और वास्तुकला, नक्काशी और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहां श्रीकृष्ण की गुरुवायुरप्पन रूप में पूजा होती है। यहां पर हाथी, मंदिर के जुलूसों और अन्य कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
Credit: Wikkipedia/Social-Media/Istock
उडुपी श्री कृष्ण मठ कर्नाटक के उडुपी में स्थित है। ये दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपने अद्वितीय दैनिक अनुष्ठानों और प्रसाद के लिए जाना जाता है।
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गुजरात के द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर है और मान्यताओं के मुताबिक, इसका निर्माण 2,500 साल पहले हुआ था। विशेष बाता ये है कि यह मंदिर चार प्रमुख तीर्थ स्थलों (चार धाम) में से एक है। द्वारका भगवान कृष्ण का राज्य और उनका मूल निवास स्थान भी बताया जाता है। यहां काले पत्थर से बनी प्रभु की मूर्ति भक्तों द्वारा गहनों और अन्य चढ़ावे से सुसज्जित है।
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित इस श्री कृष्ण मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा शासक राणोजी सिंधिया द्वारा करवाया गया था। बताते हैं कि यहां प्रतिष्ठित प्रभु की मूर्ति में भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति है। मंदिर की वास्तुकला बेजोड़ है और दीवारों व स्तंभों की नक्काशी दुर्लभ है।
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उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर, भारत के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में से एक है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला, सुंदर पेंटिंग और भित्तिचित्रों के लिए जाना जाता है। दावा किया जाता है कि 19वीं शताब्दी में स्वामी हरिदास ने इसकी स्थापना की थी। यहां प्रभु की मूर्ति को भक्तों द्वारा फूलों और प्रसादों से सजाया जाता है।
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बेंगलुरु का इस्कॉन मंदिर दुनिया के सबसे बड़े इस्कॉन मंदिरों में से एक है। यह अपनी सुंदर वास्तुकला, जीवंत वातावरण और दैनिक कीर्तन और भजन के लिए प्रसिद्ध है।
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उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। यहां लाखों हर साल दर्शन के लिए आते हैं।
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ये मंदिर भी यूपी के वृन्दावन में है। यहां भगवान कृष्ण को राधा रमण रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर इष्टदेव को भोजन अर्पित करने की अपनी अनूठी परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।
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कुरुक्षेत्र स्थित इस मंदिर का निर्माण गुप्त वंश में हुआ था। माना जाता है कि यहां के इष्टदेव भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं। मंदिर की वास्तुकला सचमुच काफी अद्वितीय है और यहां दीवारों व स्तंभों पर बनी नक्काशी के सभी मुरीद हैं।
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उड़ीसा स्थित पुरी में जगन्नाथ मंदिर में भगवान अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ रूप में विद्यमान हैं। यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है और रथ यात्रा जैसे कई अनुष्ठान व परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है।
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