Oct 10, 2024
जिसने पिलाया अपमान का घूंट, उसे ही बचाने पहुंचे गए रतन टाटा; रोचक है ये कहानी
Digpal Singhकहानी 1998 से शुरू होती है, जब टाटा मोटर्स ने पहली पैसेंजर कार इंडिका लॉन्च की।
इंडिका को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला और टाटा मोटर्स को घाटा होने लगा।
कंपनी से जुड़े लोगों ने रतन टाटा को इसे बेचने का सुझाव दिया, उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
Tata ने कहा टा टापैसेंजर कार सेग्मेंट को बेचने के प्रस्ताव के साथ रतन टाटा अमेरिकी कंपनी फोर्ड के पास गए।
फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड के साथ घंटों बैठक चली, बिल ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया।
बिल ने कहा, जिस बिजनेस के बारे में आपको जानकारी नहीं उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया?
बिल ने रतन टाटा से कहा, यह कंपनी खरीदकर हम आप पर ऐहसान कर रहे हैं।
रतन टाटा ने अपमान का घूंट पी लिया और डील कैंसिल करके वापस लौट आए।
उन्होंने और उनकी टीम ने मेहनत की और इंडिका बाजार में छा गई। टाटा मोटर्स के दिन बदलने लगे।
इस बीच 2008 तक फोर्ड दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई, अब रतन टाटा के पास मौका था।
उन्होंने फोर्ड की लैंड रोवर और जैगुआर बनाने वाली कंपनी जेएलआर को खरीदने का प्रस्ताव दिया।
इस बार बिल फोर्ड भारत आए और रतन टाटा से कहा, ये कंपनी खरीदकर आप हम पर ऐहसान कर रहे हैं।
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