इस शहर का दशहरा है बेहद निराला, यहां रावण जलता नहीं बल्कि पीटा जाता है

Pooja Kumari

Oct 24, 2023

रावण को पीटने की परंपरा

भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां पर रावण को जलाने की परंपरा नहीं है, बल्कि उसके पुतले को पीट-पीटकर उसके टुकड़े किए जाते हैं।

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जसवंतनगर

यह शहर उत्तर प्रदेश का जसवंतनगर है। जसवंतनगर में रामलीला का इतिहास 164 साल पुराना है, यहां पर रामलीला की शुरुआत 1857 से पहले हुई थी।

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लोहे के मुखौटे

नगर में रामलीला के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता को छोड़कर रावण समेत बाकी सभी लोग लोहे के मुखौटे पहने रहते हैं।

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पंचवटी और लंका

यहां की रामलीला में एक तरफ पंचवटी तो दूसरी तरफ लंका को बनाया जाता है, यहां की रामलीला भव्य होने का एक कारण यह भी है कि यहां पर बहुत से शस्त्र भी देखने को मिलते हैं।

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राम और रावण का युद्ध

नगर की सड़कों पर राम और रावण के बीच कई घंटों तक युद्ध चलता है। उसके बाद रामलीला में ये युद्ध जारी रहता है। इस दौरान बैंड भी बजता रहता है।

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रामलीला में बाण

नवमी और दशहरा के दिन यहां आसमान में हजारों बाण चलाए जाते हैं। जिसके लिए रामलीला समिति हर साल हजारों बाण तैयार कराती है।

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रावण का पुतला

जसवंतनगर में रामलीला मैदान में रावण का पुतला नवरात्रि की सप्तमी पर लगाया जाता है और दशहरे वाले दिन उसकी आरती उतारी जाती है।

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पुतले के टुकड़े

रावण को पीटने के बाद उसके पुतले के टुकड़ों को लोग सालभर अपने घरों में संभालकर रखते हैं। यहां पर रावण की तेरहवीं का भी रिवाज है।

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लोगों की मान्यता

रावण के टुकड़े घर पर रखने को लेकर लोगों की मान्यता है कि यह बच्चों को बुरी नजर से बचाता है, इससे घर के सदस्यों को भी बाधाएं परेशान नहीं करती है।

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