Nov 2, 2024
संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के विचार छात्रों के लिए वरदान हैं।
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वह कहते थे कि शिक्षा बाघिन का दूध है और जो उसे पीएगा, वह बाघ की तरह जरूर गुर्राएगा।
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वह कहा करते थे शिक्षा का अधिकार जितना पुरुषों का है, उतना ही अधिकार महिलाओं का भी है।
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उनका मत था कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। समय आने पर भूखे रहों लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाओ।
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हमें शिक्षा के प्रसार को उतना ही महत्व देना चाहिए, जितना कि हम राजनीतिक आंदोलन को महत्व देते हैं।
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एक इतिहास लिखने वाला इतिहासकार सटीक, निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए।
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मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।
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मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं, जो महिलाओं ने हासिल की है।
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प्रत्येक छात्र को अपने चरित्र का निर्माण प्रज्ञा, शील, करुणा, विद्या और मैत्री इन पंचतत्वों के आधार पर करना चाहिए।
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