Aug 23, 2023

​चंद्रयान 3 की लैंडिंग​

नीलाक्ष सिंह

चंद्रयान 3 मिशन के साथ साथ लैंडर व रोवर भी लगा है, किसी भी मून मिशन में लैंडर व रोवर की सबसे अहम भूमिका होती है, लेकिन क्या आप दोनों के बारे में अच्छे से जानते हैं?

Credit: canva

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​क्या है लैंडर​

चंद्रयान 3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया गया है। इस यान में लैंडर लगा हुआ है, लैंडर वही हिस्सा है जो चांद की सतह पर उतरेगा।

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​लैंडर का काम क्या होता है?​

लैंडर का मुख्य काम उसके अंदर रखे रोवर को प्रोटेक्ट करना है, लैंडर में एअरबैग भी लगा होता है। जैसे ही लैंडर लैंड करता है, फिर इसमें से रोवर बाहर निकलता है।

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​क्या है रोवर​

रोवर एक मूविंग टूल है, आसान भाषा में एक रोबोटिक गाड़ी जिसमें पहिए लगे होते हैं, ताकि वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाकर सैंपल कलेक्ट कर सके।

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​रोवर का काम क्या होता है?​

रोवर यानी लूनर रोविंग व्हीकल में नेविगेशन कैमरे लगे होते हैं, यह चंद्रमा की सतह को स्कैन कर सकता है।

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​अपोलो मिशन में इस्तेमाल हुआ था रोवर​

रोवर को आप मून बग्गी भी कह सकते हैं, इसका उपयोग अमेरिकी अपोलो कार्यक्रम में भी किया गया था। इसमें वैज्ञानिक उपकरण लगे होते हैं, ताकि रिसर्च में मदद मिल सके।

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​लैंडर व रोवर का नाम​

इसरो ने चंद्रयान 2 मिशन की तरह चंद्रयान 3 मिशन में भी लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा है।

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​चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य​

चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है।

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​भारत रचेगा इतिहास​

संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश जबकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।

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