Sep 14, 2023
मध्य प्रदेश में सिविल जज वर्ग-2 में एससी कोटे से पांचवीं रैंक हासिल कर अंकिता नागर सिविल जज बन गई हैं।
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आर्थिक तंगी के बीच कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल कैसे की जाती है, संघर्ष कर रहे छात्रों को इंदौर की अंकिता नागर से सीखनी चाहिए।
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अंकिता के माता पिता इंदौर के मूसाखेड़ी रोड पर लक्ष्मी और अशोक नागर सब्जी का ठेला लगाते हैं। दोनों पति-पत्नी लंबे अर्से से इंदौर (Indore) की गलियों में सब्जी बेचते हैं।
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जिस वक्त सिविल जज का परिणाम आया , अंकिता यहां सब्जी बेच रही थीं।
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सिविल जज बनी अंकिता ने बताया कि एक समय में हमारे पास फॉर्म भरने के लिए 800 रुपये नहीं थे।
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अंकिता शुरू से ही जज बनना चाहती थी। कॉलेज में एलएलबी की पढ़ाई के दौरान से ही वह तैयारी शुरू कर दी थी।
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अंकिता के बड़े भाई और छोटी बहन की शादी हो गई है लेकिन उन्होंने अपने सपने पूरे करने के लिए शादी नहीं की।
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अंकिता घर की आर्थिक स्थिति से वाकिफ थीं, इसलिए जब भी समय मिलता, वह माता पिता के साथ सब्जी बेचने का काम करतीं।
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29 वर्षीय अंकिता नागर ने बताया कि सिविल जज भर्ती परीक्षा में तीन बार असफल होने के बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी।
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